नकली पुलिस अफसर बनकर पुलिस को ही लगा डाला फोन, कॉन्स्टेबल की सूझ बूझ ने ठग के साजिश को किया नाकाम

यातायात थाने के आरक्षक ने अपने सूझबूझ से फ्रॉड कॉल कर ठगी करने वाले के प्लान को फेल कर दिया। साथ ही उन्होंने मौके पर मौजूद लोगों को साइबर ठगी के प्रति जागरूक भी किया।

Updated: Dec 13, 2025, 07:53 PM IST

बुरहानपुर। मघ्य प्रदेश के बुरहानपुर में शनिवार को नकली पुलिस अफसर बनकर लोगों से लाखों रुपये की ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। उनकी चाल उस वक्त नाकाम हो गई जब उनका सामना यातायात थाने के एक असली पुलिस आरक्षक से हो गया। बातचीत के शुरुआत में ही आरक्षक को कॉल के फर्जी होने का अंदेशा हो गया था। जिसके बाद उसने सूझबूझ से न सिर्फ ठगी से खुद को बचाया बल्कि मौके पर मौजूद आम नागरिकों को भी जागरूक किया।

घटना के अनुसार, शनिवार को आरक्षक आशीष तोमन यातायात व्यवस्था के तहत वाहनों की जांच कर रहे थे। इसी दौरान उनके व्हाट्सएप पर एक कॉल आई। कॉल करने वाले व्यक्ति ने खुद को पुणे (महाराष्ट्र) का पुलिस अधिकारी बताते हुए दावा किया कि आरक्षक का बेटा रेप के एक गंभीर मामले में फंस गया है। ठग ने बेटे को बचाने के नाम पर 1 लाख 70 हजार रुपये की मांग की और पैसे न देने पर जेल भेजने की धमकी भी दी।

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आरक्षक आशीष तोमन ने पूरी बातचीत शांति से सुनी और ठग को अपनी बात पूरी करने दी। इसके बाद उन्होंने ठग को करारा जवाब देते हुए बताया कि उनका बेटा महज तीन साल का है। यह सुनते ही ठग ने फोन काट दिया। इसके बाद आरक्षक ने जांच के लिए रोके गए वाहन चालक और उसमें सवार अन्य लोगों को पूरी कॉल सुनाकर बताया कि किस तरह साइबर ठग डर और दबाव बनाकर लोगों से ऑनलाइन ठगी करते हैं।

आरक्षक की इस सतर्कता और जागरूकता की पुलिस अधीक्षक देवेंद्र पाटीदार ने सराहना की है। उन्होंने कहा कि इस तरह की सूझबूझ न केवल ठगी को रोकती है बल्कि आम लोगों को भी सचेत करती है। पुलिस अधीक्षक ने नागरिकों से अपील की कि वे किसी भी अनजान कॉल, संदेश या धमकी से घबराएं नहीं और तुरंत उसकी पुष्टि करें।

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पुलिस ने एक बार फिर नागरिकों को साइबर ठगी से बचने के लिए सतर्क किया है। पुलिस का कहना है कि किसी भी संदिग्ध ईमेल, लिंक या एपीके फाइल को क्लिक न करें और अपनी बैंकिंग या निजी जानकारी किसी के साथ साझा न करें। यदि किसी भी तरह की धोखाधड़ी होती है, तो तुरंत साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत दर्ज कराएं ताकि समय रहते कार्रवाई की जा सके।

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