हर साल औसतन दो लाख भारतीय छोड़ रहे नागरिकता, पांच साल में 9 लाख से ज्यादा ने देश छोड़ा

विदेश में बेहतर जीवन और अवसरों की तलाश में भारतीय नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले 5 साल में 9 लाख भारतीयों ने विदेशी नागरिकता अपनाई है।

Updated: Dec 13, 2025, 05:39 PM IST

नई दिल्ली। विदेश में बेहतर जीवन, नौकरी और शिक्षा की तलाश में भारतीय नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। संसद में पेश किए गए ताजा आंकड़ों के मुताबिक, हर साल औसतन करीब 2 लाख भारतीय विदेश में बसने के लिए देश की नागरिकता छोड़ रहे हैं। पिछले पांच वर्षों में ही लगभग 9 लाख भारतीयों ने अपनी नागरिकता त्याग दी है। जबकि, साल 2011 से 2024 के बीच कुल मिलाकर करीब 21 लाख भारतीयों ने विदेशी नागरिकता अपनाई है।

राज्यसभा में एक लिखित जवाब में विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने बताया कि भारतीयों द्वारा नागरिकता छोड़ने के पीछे मुख्य कारण विदेशों में बेहतर जीवन स्तर, रोजगार के अधिक अवसर और उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा शामिल हैं। उन्होंने कहा कि साल 2021 के बाद इस आंकड़े में तेज उछाल देखा गया है। कोरोना महामारी के दौरान साल 2020 में नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या घटकर करीब 85 हजार रह गई थी। लेकिन इसके बाद यह आंकड़ा फिर बढ़कर सालाना लगभग 2 लाख के आसपास पहुंच गई है।

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सरकारी आंकड़ों के अनुसार, नागरिकता छोड़ने का सिलसिला पिछले एक दशक से जारी है। साल 2011 में 1,22,819 भारतीयों ने नागरिकता छोड़ दी थी। साल 2012 में यह संख्या थोड़ी घटकर 1,20,923 हो गई थी। जबकि, 2013 में इसमें बढ़ोतरी दर्ज की गई और यह बढ़कर 1,31,405 हो गई। 2014 में यह आंकड़ा कुछ कम होकर 1,29,328 हुआ तो था लेकिन 2015 में फिर बढ़कर 1,31,489 तक पहुंच गया। इसके बाद के वर्षों में यह सिलसिला लगातार चलता रहा।

विदेश में रहने वाले भारतीयों से जुड़ी शिकायतों के आंकड़े भी सामने आए हैं। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, पिछले तीन वर्षों में विदेशी नागरिकों और ओवरसीज सिटीजनशिप ऑफ इंडिया (OCI) कार्डधारकों से संबंधित कुल 9.45 लाख शिकायतें दर्ज की गई हैं। साल 2024-25 के दौरान ही विदेश में रह रहे भारतीयों से जुड़ी 16,127 शिकायतें मिली थी। इनमें से 11,195 शिकायतें सरकार के ऑनलाइन शिकायत पोर्टल पर दर्ज हुई थी। जबकि, 4,932 मामले CPGRAMS के जरिए सामने आए थे।

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देशवार आंकड़ों पर नजर डालें तो सबसे अधिक शिकायतें सऊदी अरब से दर्ज की गई हैं। यहां से 3,049 मामले सामने आए थे। इसके बाद संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से 1,587, मलेशिया से 662, अमेरिका से 620, ओमान से 613, कुवैत से 549, कनाडा से 345, ऑस्ट्रेलिया से 318, ब्रिटेन से 299 और कतर से 289 शिकायतें दर्ज की गई हैं।

इसी दौरान सरकार ने यह भी बताया कि पिछले तीन सालों में सुरक्षा कारणों से मिडिल ईस्ट के देशों से 5,945 भारतीय नागरिकों को स्वदेश वापस लाया गया है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लोकसभा में जानकारी दी कि इनमें इजराइल से चलाया गया ऑपरेशन अजय और ईरान-इजराइल संकट के दौरान ऑपरेशन सिंधु शामिल हैं। इसके अलावा कुवैत में हुए भीषण अग्निकांड में मारे गए 45 भारतीय नागरिकों के शव भी भारत लाए गए थे।

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