बिहार में संविदा कर्मियों को हड़ताल करना पड़ा भारी, नीतीश सरकार ने 7480 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला
बिहार सरकार ने धरने पर बैठे 7480 विशेष सर्वे संविदा कर्मियों के खिलाफ सख्त एक्शन लेते हुए उनकी सेवा समाप्त कर दी है। राज्य सरकार की ओर से उन्हें तीन सितंबर की शाम पांच बजे तक धरना बंद करने की मोहलत दी गई थी। जिसके बाद भी धरने पर बैठे कर्मियों के खिलाफ एक्शन लिया गया।

पटना। बिहार सरकार ने बीते कई दिनों से हड़ताल पर बैठे 7000 से ज्यादा विशेष सर्वे संविदा कर्मियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। राज्य सरकार ने अंतिम मोहलत देने के बावजूद हड़ताल पर बैठे रहने और काम पर ना लौटने की सजा देते हुए उनकी सेवा समाप्त कर दी है। ये सर्वे संविदा कर्मी राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग से हैं।
जानकारी के अनुसार हड़ताल पर बैठे कर्मियों ने राज्य सरकार से कॉन्ट्रैक्ट को सात साल तक बढ़ाने और ESIC (कर्मचारी राज्य बीमा निगम) की मांग की थी। जानकारी के लिए बता दें, ESIC एक सामाजिक सुरक्षा योजना है जो मेडिकल, मैटरनिटी, विकलांगता और आश्रित लाभ प्रदान करती है। यह प्रति माह 21,000 रुपए या उससे कम कमाई करने वाले कर्मचारियों को कवर करता है।
लेकिन मांग पूरी ना होने की वजह से ये राज्य सरकार के खिलाफ बीते 16 अगस्त से हड़ताल पर बैठे थे। साथ ही इन कर्मियों पर आरोप लागाय गया है कि ये अन्य विशेष सर्वे संविदा कर्मियों को भी गुमराह कर रहे थे और सर्वे कार्य को बाधित कर रहे थे। जिसके बाद सरकार ने इनके खिलाफ एक्शन लिया और तकरीबन 7 हजार से ज्यादा कर्मियों की सेवा खत्म की।
हालांकि, सरकार की इस कार्रवाई के पहले ही 3295 संविदा कर्मी काम पर वापस लौट चुके थे। लेकिन कई लोग उस वक्त भी धरने पर बैठे थे। जिसके बाद सरकार ने बीते 30 अगस्त को उन्हें अपना धरना बंद कर काम पर वापस लौटने के लिए अंतिम मोहलत देते हुए तीन सितंबर की शाम पांच बजे तक का समय दिया था। लेकिन इसके बावजूद जिन कर्मियों ने सरकार की बात नहीं मानी उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई। सरकार की इस कार्रवाई में कुल 7480 कर्मियों को बर्खास्त कर दिया गया है।