धर्म के आड़ में राजनीति हो रही, राजनीति और धर्म को अलग-अलग रखना चाहिए: सचिन पायलट

मेरे और श्री राम के बीच सीधा ताल्लुक है। गांधी मंदिर जाकर राम भक्त नहीं बनते थे, वह अवधारणा अंदर थी इसलिए स्वर्ग गए और हे राम कहते हुए गए: आरजेडी सांसद मनोज झा

Publish: Jan 11, 2024, 05:50 PM IST

नई दिल्ली। राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर भाजपा पर जमकर निशाना साधा है। पायलट ने सत्ताधारी दल पर धर्म के आड़ में राजनीति करने का आरोप लगाया है। पायलट ने कहा कि मुझे अपनी आस्था दिखाने, मंदिर में दर्शन करने के लिए किसी के न्योते की जरूरत नहीं है। मेरा जब मन करेगा जाऊंगा।

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा, "राजनीति और धर्म को अलग-अलग रखना चाहिए। अगर धर्म के आड़ में राजनीति हो रही है तो उसे कोई स्वीकार नहीं करेगा। हम जनता के मुद्दों, विकास, शिक्षा, रोजगार पर चर्चा करना चाहते हैं लेकिन भाजपा इसपर चर्चा के लिए तैयार नहीं है। भावनात्मक मुद्दों के आड़ में वोट लेना भाजपा की परंपरा रही है... कोई कभी भी मंदिर जा सकता है लेकिन इस तरह का जो राजनीतिकरण हो रहा है उसे कांग्रेस पार्टी ने गलत माना है।"

पायलट ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि, "आपको राजनीति करनी है तो आप मुद्दों पर करिए, निवेश पर करें, गरीबी पर करें, महंगाई कैसे कम हो इस पर करें। आज विश्व बाजार में कच्चे तेल का दाम आधा हो गया है, लेकिन भारत सरकार दाम कम नहीं कर रहे है। आपने लुभावने वादे किए हैं। आप देश के 80 करोड़ लोगों को आप सस्ता भोजन करवा रहे हैं और कहते हैं कि आप बहुत ज्यादा विकसित हो गए हैं।"

बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा धार्मिक ध्रुवीकरण में जुटी हुई है। महंगाई, बेरोजगारी जैसे तमाम असल मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए मोदी सरकार द्वारा अर्धनिर्मित राम मंदिर का उद्घाटन कराया जा रहा है। इसे लेकर देश के चारो शंकराचार्य से लेकर तमाम बड़े धर्माचार्य नाराज हैं। शंकराचार्यों ने प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में जाने से इनकार कर दिया है। वहीं, कांग्रेस ने भी अपना स्टैंड क्लियर करते हुए कहा है कि हम राम मंदिर उद्घाटन का न्योता ससम्मान अस्वीकार करते हैं। 

विपक्ष के कई अन्य दलों ने भी प्राण प्रतिष्ठा में जाने से इनकार किया है। मामले पर RJD सांसद मनोज झा ने कहा, "मेरे और श्री राम के बीच सीधा ताल्लुक है। गांधी मंदिर जाकर राम भक्त नहीं बनते थे, वह अवधारणा अंदर थी इसलिए स्वर्ग गए और हे राम कहते हुए गए...आप हैं कौन?... मेरे और मेरे ईश्वर के बीच यह जो ठेकेदारी का सिस्टम विकसित किया गया है वह हिंदू धर्म का भी कभी स्वभाव नहीं रहा है।"