राजगढ़ में जिला पंचायत अध्यक्ष के साथ अभद्रता, दिग्विजय सिंह ने की दोषियों पर कार्रवाई की मांग
सिंह ने कहा कि यह कृत्य न केवल असंवैधानिक है, बल्कि पंचायती राज व्यवस्था की आत्मा पर सीधा प्रहार है। राज्यमंत्री दर्जाधारी जिला पंचायत अध्यक्ष के साथ ऐसा व्यवहार लोकतंत्र की भावना और संविधान के 73वें संशोधन की मंशा के विपरीत है।
भोपाल। राजगढ़ जिले के ब्यावरा में आयोजित मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कार्यक्रम के दौरान जिला पंचायत अध्यक्ष श्री चंदर सिंह सौंधिया के साथ पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा की गई अभद्रता को लेकर सियासत गरमा गई है। राज्यसभा सांसद एवं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इसपर आपत्ति जताते हुए दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इस संबंध में मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र भी लिखा है। पत्र में पूर्व सीएम ने कहा है कि दिनांक 18 अक्टूबर 2025 को नवीन दशहरा मैदान, ब्यावरा में फसल क्षति राहत राशि वितरण, भूमिपूजन और लोकार्पण कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, जिसमें मुख्यमंत्री मुख्य अतिथि थे। जिला प्रशासन द्वारा जिला पंचायत अध्यक्ष चंदर सिंह सौंधिया को विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। लेकिन जब वे कार्यक्रम स्थल पर पहुँचे, तो पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने उनके साथ अभद्र व्यवहार करते हुए उन्हें जबरन कार्यक्रम स्थल से बाहर ले जाकर छोड़ दिया।
सिंह ने कहा कि यह कृत्य न केवल असंवैधानिक है, बल्कि पंचायती राज व्यवस्था की आत्मा पर सीधा प्रहार है। राज्यमंत्री दर्जाधारी जिला पंचायत अध्यक्ष के साथ ऐसा व्यवहार लोकतंत्र की भावना और संविधान के 73वें संशोधन की मंशा के विपरीत है।उन्होंने कहा कि मैंने प्रदेश के मुख्यमंत्री रहने के दौरान मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में पंचायती राज संस्थाओं को सशक्त बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाए थे। वर्ष 1994 में जिला पंचायत अध्यक्ष को राज्यमंत्री का दर्जा देकर उन्हें प्रशासनिक अधिकारों से सशक्त किया गया था। परंतु वर्तमान भाजपा सरकार ने पिछले दो दशकों में पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकार लगातार कम किए हैं।
सिंह ने यह भी कहा कि “जिला पंचायत अध्यक्ष चंदर सिंह सौंधिया, जो पिछड़ा वर्ग से हैं, उनके साथ इस प्रकार का व्यवहार न केवल पंचायत प्रतिनिधियों का अपमान है बल्कि सामाजिक रूप से भी अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है।” पूर्व मुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि इस अमानवीय एवं अपमानजनक घटना की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए, दोषी पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों पर दंडात्मक कार्यवाही की जाए तथा जिला प्रशासन को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह मामला केवल राजगढ़ जिले का नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के तीन लाख से अधिक पंचायत प्रतिनिधियों के आत्मसम्मान से जुड़ा है।




