CG: अंधविश्वास ने ली एक ही परिवार के 3 बच्चों की जान, बुखार आने पर झाड़ फूंक करा रहे थे परिजन

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में तीन दिनों में एक ही परिवार के तीन बच्चों की मौत हुई। बुखार बढ़ने पर परिजनों ने अस्पताल ले जाने की बजाय झोलाछाप डॉक्टर और झाड़-फूंक पर भरोसा किया। इलाज में देरी और अंधविश्वास के चलते तीनों भाई-बहन की जान चली गई।

Updated: Nov 17, 2025, 04:20 PM IST

Photo Courtesy: AI Generated
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गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में एक ही परिवार के तीन बच्चों की लगातार मौत से पूरा क्षेत्र सदमे में है। मैनपुर ब्लॉक के धनोरा गांव में तीन दिनों के भीतर 8, 7 और 4 साल के तीन सगे भाई-बहन की मौत हो गई। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि बच्चों की जान अंधविश्वास, झोलाछाप डॉक्टर के गलत इलाज और परिजनों द्वारा समय पर अस्पताल न ले जाने की वजह से हुई है। मामला की गंभीरता को देखते हुए जिले के सीएमएचओ एसके नवरत्न ने तुरंत जांच टीम धनोरा गांव भेजने के निर्देश दिया गया।

मृत बच्चों के पिता डमरुधर नागेश मजदूर हैं और वह परिवार समेत हाल ही में अपने ससुराल साहिबिन कछार में मक्का तोड़ने का काम कर रहे थे। इसी दौरान बच्चों को तेज बुखार हुआ। परिजन उन्हें सीधे अस्पताल ले जाने के बजाय एक झोलाछाप चिकित्सक के पास ले गए जिसने इलाज तो किया लेकिन हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। इसके बाद परिवार बच्चों को लेकर गांव लौट आया जहां उन्होंने अस्पताल के बजाय बैगा-गुनिया के पास झाड़-फूंक कराना शुरू कर दिया।

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बीते 11 नवंबर को 8 साल की अनिता नागेश की हालत अचानक ज्यादा बिगड़ गई। परिवार उसे अमलीपदर अस्पताल लेकर पहुंचा लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। 13 नवंबर को 7 साल के ऐकराम नागेश को देवभोग अस्पताल ले जाया गया लेकिन उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। इसी दिन शाम को 4 साल के गोरश्वर नागेश की भी जंगल में बैगा के घर झाड़-फूंक के दौरान मौत हो गई। ग्राम धनोरा की मितानिन कुमारी कामता नागेश ने पुष्टि की कि तीनों मौतें एक ही परिवार में हुईं और दूसरी व तीसरी मौत 13 नवंबर को एक ही दिन हुई थी।

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अमलीपदर शासकीय अस्पताल के डॉक्टर रमाकांत ने बताया कि जिन बच्चों को बुखार और सर्दी-खांसी थी उनके परिजनों को अस्पताल में जांच करवाने की सलाह दी गई थी लेकिन परिवार जांच कराने नहीं आया। वहीं, ग्रामीणों ने कहा कि अस्पताल का दूर होना, एंबुलेंस का देरी से पहुंचना और डॉक्टरों की कमी भी समय पर इलाज न मिल पाने की बड़ी वजह बनी। इस पूरे मामले को स्वास्थ्य विभाग ने बेहद गंभीर बताते हुए जांच के आदेश जारी किए हैं। प्रशासन अब यह पता लगाने में जुटा है कि बच्चों की मौत का वास्तविक कारण क्या था और लापरवाही किस स्तर पर हुई है।

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