लौटने का दर्द कम कर रही किन्नर
आंचल किन्नर के जज्बे को देखते हुए इलाके के लोग भी मजदूरों की मदद को आगे आ रहे हैं
अक्सर जब किसी के घर खुशी का मौका होता है, तो ढोलक लेकर ताली बजाते, नाचते किन्नर उनके घर बधाई लेने पहुंच जाते हैं। तो कभी त्यौहारों पर उनकी जबरन वसूली के किस्से भी गाह-बगाहे देखने औऱ सुनने को मिलते ही रहते हैं। लेकिन कहते हैं ना कि हाथ की पांचों उंगलियां एक सी नहीं होती, वैसे ही हर किन्नर अडियल और जिद्दी नहीं होते। रीवा के त्योंथर तहसील में किन्नरों की नेक पहल सामने आई है। यहां आंचल नाम की किन्नर अपने तीन साथियों के साथ समाज सेवा में लगी हैं। वो अपने खर्चे पर रोजाना सैकड़ों मजदूरों को खाना खिलाती है। कभी पूड़ी-सब्जी तो कभी खिचड़ी ही सही, जब जैसी व्यवस्था वैसी सेवा कर रही है। सोहागी पहाड़ से रोजाना हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर पैदल गुजरते हैं, आंचल करीब 50 दिन से लोगों की निस्वार्थ सेवा में लगी है।
आंचल किन्नर के जज्बे को देखते हुए इलाके के लोग भी मजदूरों की मदद को आगे आ रहे हैं,कोई खाना बनवाने में तो कोई सामान उपलब्ध करवाकर आंचल के इस मिशन में सहयोग कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों की तरफ जाने वाले सैकड़ों लोग रोजाना इस भीषण गर्मी में भूखे-प्यासे सफर करते हैं। उनके लिए आंचल किन्नर किसी मसीहा से कम नहीं हैं, किन्नर आंचल का कहना है कि कोरोना वायरस के कारण लोग अपनी रोजी-रोटी छोड़कर घरों की ओर जा रहे हैं। यह संकट की घड़ी है और इससे सबको मिलकर लडऩा होगा। उनकी कोशिश है कि अधिक से अधिक लोगों को भोजन करवा सकें ताकि कोई भी भूखा न रहे।