नक्सलियों ने अस्थाई तौर पर हथियार डालने की घोषणा की, केंद्र सरकार को फिर दिया शांतिवार्ता का प्रस्ताव
माओवादियों ने हथियारबंद संघर्ष को अस्थाई तौर पर विराम देने की घोषणा की। उन्होंने मांग की है कि केंद्र सरकार एक समिति गठित करे, ताकि वो वार्ता कर सकें।

बस्तर। छत्तीसगढ़ के साथ-साथ पड़ोसी राज्यों में नक्सलियों को लग रहे एक के बाद एक झटकों के बीच वे बैकफुट पर आ गए हैं। उन्होंने केंद्र सरकार को एक बार फिर से शांति वार्ता का प्रस्ताव दिया है। नक्सली संगठनों ने सरकार से एक महीने का सीजफायर करने का निवेदन भी किया है।
माओवादी पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता अभय ने पर्चा जारी कर बताया कि माओवादियों ने हथियारबंद संघर्ष को अस्थाई तौर पर विराम देने की घोषणा की। उन्होंने मांग की है कि केंद्र सरकार एक समिति गठित करे, ताकि वो वार्ता कर सकें। प्रवक्ता अभय ने एक ईमेल आईडी जारी कर सरकार से उस पर अपना विचार भेजने की बात भी कही है।
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छत्तीसगढ़ के नक्सलबाहुल बस्तर, गरियाबंद, बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर, कांकेर और दंतेवाड़ा में पिछले एक वर्ष में कई नक्सलियों ने समर्पण किया है। इसके अलावा कई बड़े नक्सली नेता मारे भी जा चुके हैं। पिछले हफ्ते ही में गरियाबंद जिले के जंगलों में मुठभेड़ में 10 नक्सली मारे गए थे। इनमें केंद्रीय समिति (सीसी) का सदस्य मोडेम बालकृष्णन उर्फ मनोज भी शामिल था, जिस पर 1.5 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था।
इससे पहले गरियाबंद में ही कुल्हाड़ी पहाड़ी पर चले अभियान में 21 जनवरी को सीसी मेंबर चलपती (इनामी 1 करोड़) समेत 16 नक्सली मारे गए थे। नक्सलियों के सबसे बड़े नेता रहे बसवराजु भी मारे जा चुके हैं। वहीं सुजाता ने सरेंडर कर दिया है। ऐसे में नक्सली संगठन आखिरी सांसें गिन रहा है।
इस साल 25 अगस्त तक 453 नक्सली मुठभेड़ों में मारे गए, 1,602 ने सरेंडर किया, 1,591 अरेस्ट हुए, जबकि 1,162 बारूदी सुरंगों का पता लगाकर निष्क्रिय किया गया। गृहमंत्री अमित शाह ने 31 मार्च 2026 तक नक्सलियों के समूल खात्मे का ऐलान किया है। ऐसे में सुरक्षाबलों की ताबड़तोड़ कार्रवाई जारी है।