Unlock 1 : नाराज़ श्रमिक 3 जुलाई को करेंगे देश में प्रदर्शन

Lockdown 5.0 देश भर के कुल 10 मज़दूर संगठनों ने  मज़दूरों से केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने का आह्वान किया है।

Publish: Jun 06, 2020, 09:01 AM IST

मज़दूरों के प्रति केंद्र सरकार के लचर व उदासीन रवैए के खिलाफ देश भर के मज़दूर आंदोलन करेंगे। मज़दूर लॉक डाउन के दौरान उनकी की गई अनदेखी से खफा हैं। ऐसे में उन्होंने सरकार के खिलाफ आंदोलन करने का इरादा कर लिया है। 3 जुलाई को देश भर में मज़दूर सरकार के खिलाफ आंदोलन कर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर करेंगे।

गौरतलब है कि देश भर के कुल 10 मज़दूर संगठनों ने मज़दूरों से केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने का आह्वान किया है। आंदोलन का नेतृत्व करने वाले मजदूर संगठनों में ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस, सेल्फ एम्पलॉइड वूमेन एसोसिएशन समेत कुल दस मज़दूर संगठन हैं।

आर्थिक पैकेज क्रूर मज़ाक के सिवा कुछ भी नहीं

मज़दूर संगठनों ने संयुक्त रूप से जारी किए अपने बयान में केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए 20 लाख करोड़ के पैकेज को गरीबों के साथ क्रूर मज़ाक करार दिया है। संगठनों ने कहा है कि सरकार का यह पैकेज मज़दूरों के जले पर नामक छिड़कने जैसा है। सरकार ने हमारे साथ भद्दा व क्रूर मज़ाक किया है।

सरकार अपने ही फैसले लागू करने में विफल

मज़दूर संगठनों ने कहा है कि केंद्र सरकार न सिर्फ अपने ही फैसलों को लागू करने में विफल रही अपितु सरकार अपने फैसलों से पलट भी गई। मज़दूर संगठनों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार ने गैर आयकर दाता मज़दूरों के खातों में 7500 रुपए ट्रांसफर करने की मांग नहीं मानी। तो वहीं सरकार ने लॉक डाउन के तीन महीने की अवधि का वेतन देने की मांग को भी ठुकरा दिया। इसके साथ ही सरकार ने भूखमरी की मार झेल रहे मज़दूरों को 6 महीने का राशन भी उपलब्ध नहीं कराया।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सरकार ने मज़दूरों से पैसे लेने बंद किए!

मज़दूर संगठनों ने कहा है कि सरकार तो अपने राज्य लौट रहे बेसहारा मज़दूरों से पैसे वसूलने तक में नहीं चुकी। सरकार ने अपना फैसला तब जा कर बदला जब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मज़दूरों की पैसे वसूली करने पर रोक लगा दी। नहीं तो सरकार मज़दूरों तक से ट्रेन का किराया वसूल रही थी।

सरकार ने कोरोना वारियर्स का भी अपमान किया

मज़दूर संगठनों ने सरकार पर कोरोना कि लड़ाई में दिन रात एक कर रहे कोरोना वारियर्स की भी अनदेखी करने का आरोप लगाया है। संगठनों का कहना है कि सरकार कोरोना की जंग लड़ रहे डॉक्टर, नर्सों इत्यादि को न तो समय पर वेतन दे रही है न ही सरकार उनको सुरक्षा प्रदान करने को लेकर चिंतित दिख रही है। ऐसे में मज़दूर संगठनों ने सरकार के इस उदासीन रवैए को लेकर कड़ा सवाल खड़ा किया है।

24 करोड़ मज़दूरों के पास रोजगार नहीं

मज़दूर संगठनों ने अपने संयुक्त बयान में कहा है कि इस वक़्त लगभग 14 करोड़ लोगों के पास नौकरी नहीं है। अगर इसमें दैनिक मज़दूरों , अनुबंधित मज़दूरों को जोड़ दिया जाए तो बेरोजगारों की संख्या लगभग 24 करोड़ पहुंच जाएगी। ऐसे में संगठनों ने सरकार से मनरेगा को गांवों में और व्यापक स्तर पर प्रसारित करने की मांग की है। ताकि अपने गांव लौटे मज़दूरों को आय का साधन प्राप्त हो सके। जिससे वो अपनी रोज़ी रोटी चला पाएं।

अपनी इन्हीं मांगों और अपनी आपत्तियों को लेकर मज़दूर संगठनों ने आंदोलन करने की ठानी है। उनकी मांग है कि सरकार को जल्द से जल्द अपने इस रवैए को त्याग कर, मज़दूरों के हित में कदम उठाने की सोचनी चाहिए। फिलहाल देश भर के दस ट्रेड यूनियन 3 जुलाई को होने वाली हड़ताल में शामिल होंगे।

हड़ताल में ये संगठन होंगे शामिल

3 जुलाई को होने वाले हड़ताल में नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस, ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस, हिंद मजदूर सभा, सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन, ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर, ट्रेड यूनियन को-ऑर्डिनेशन सेंटर , ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस, सेल्फ-एम्प्लॉइड वुमेन्स एसोसिएशन, लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन और यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस जैसे मज़दूर संगठन शामिल रहेंगे। ज्ञात हो कि पिछले महीने के अंत में छत्तीसगढ़ के कुछ मज़दूर संगठनों ने भी दो दिन तक केंद्र सरकार की कृषि व मज़दूर विरोधी नीतियों के खिलाफ पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन किया था।