न रूस जीता, न यूक्रेन हारा, रूस-यूक्रेन युद्ध के एक साल पूरे, तीन लाख से ज्यादा लोगों ने गंवाई जान

रूस और यूक्रेन जंग को एक साल हो चुका है। न तो व्लादिमीर पुतिन और न ही वोलोडिमिर जेलेंस्की पीछे हटने को तैयार हैं। युद्ध की बरसी पर पेरिस में यूक्रेन के समर्थन में लाइटिंग की गई है। साथ ही आइफिल टॉवर पर यूक्रेनी झंडा जगमगाते हुए दिखा।

Updated: Feb 24, 2023, 06:12 AM IST

रूस और यूक्रेन के बीच महायुद्ध को आज एक साल पूरे हो गए हैं। इस युद्ध ने लाखों जिंदगियां समाप्त की है। विभिन्न रिपोर्ट्स के मुताबिक दोनों तरफ से मिलाकर 3 लाख से ज्यादा लोग इस युद्ध में मारे जा चुके हैं। स्पेनिश-अमेरिकी दार्शनिक जॉर्ज संतायना ने कहा है, ‘सिर्फ मौत ने ही युद्ध का अंत देखा है'। इस युद्ध की विभीषिका को उपरोक्त कथन से भली-भांति समझा जा सकता है। 

24 फरवरी 2022 को रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था। तब से लेकर अब तक दोनों देशों के बीच भीषण युद्ध जारी है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस दिन यूक्रेन में अपने ‘विशेष सैन्य अभियान’ का ऐलान किया था। उन्होंने तब कहा था कि रूस का मकसद यूक्रेन पर कब्जा करना नहीं, ​बल्कि उसका विसैन्यीकरण है। जवाब में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा था, ‘अगर वह हमला करते हैं, तो हम उनका सामना करेंगे, पीठ नहीं दिखाएंगे।’ 

गत एक साल से यह युद्ध अनवरत जारी है, जिसका फिलहाल अंत होता नहीं दिख रहा।।न यूक्रेन ने पीठ दिखाई और न ही रूस सिर्फ उसके विसैन्यीकरण तक सीमित रहा। न कोई जीता है और न कोई हारा है। बसे बसाए खूबसूरत शहर तबाह हुए हैं। लाखों लोग मारे गए हैं, करोड़ों विस्थापित हुए हैं और पड़ोसी देशों में शरणार्थी के रूप में जीवन काट रहे हैं। इस जंग में यूक्रेन बर्बाद हुआ है, तो रूस की भी दुर्गति हुई है। दुनिया की अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर पड़ा है।

बीते एक साल में रूस ने यूक्रेन के प्रमुख शहरों और बंदरगाहों पर कब्जा कर लिया है। वहीं, यूक्रेन की सेना ने जवाबी कार्रवाई में ज्यादातर इलाकों को फिर से अपने कब्जे में ले लिया। यूएन ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि करीब 4 करोड़ की आबादी वाले यूक्रेन से अब तक करीब 80 लाख लोग पड़ोसी देशों में शरण ले चुके हैं। जर्मनी, पोलैंड, मॉल्डोवा जैसे देशों ने यूक्रेनी शरणार्थियों के लिए अपनी सीमाएं खोली हैं। कीव स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के एक अध्ययन के मुताबिक 24 फरवरी 2022 से दिसंबर 2022 तक रूसी हमलों में यूक्रेन का 138 अरब डॉलर (11 लाख करोड़ रुपये) का इन्फ्रास्ट्रक्चर तबाह हो गया है। 

यूक्रेन के विभिन्न शहरों में रूसी बमबारी और मिसाइल हमलों की चपेट में आकर 1.5 लाख से ज्यादा रिहायशी इमारतें खंडहर बन चुकी हैं। इसी तरह पूरे देश में 3000 से ज्यादा शैक्षणिक संस्थानों को नुकसान पहुंचा है। इनमें से कई पूरी तरह, तो कुछ आंशित तौर पर डैमेज हुए हैं। देश में करीब 1100 से ज्यादा अस्पताल रूसी हमलों की जद में आकर बर्बाद हो चुके हैं। इस युद्ध में अमेरिका समेत दुनिया के कई बड़े देश यूक्रेन की मदद कर रहे हैं। इसी कड़ी में जी-7 देशों के वित्त मंत्रियों ने गुरुवार को यूक्रेन के लिए इस समूह की ओर से आर्थिक सहायता बढ़ाकर 39 अरब डॉलर कर दी है। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से मार्च तक इस देश को नया वित्तीय पैकेज देने का आह्वान भी किया ताकि उसे रूस के हमले के प्रभाव से निपटने में मदद मिल सके।

युद्ध की बरसी पर पेरिस में यूक्रेन के समर्थन में लाइटिंग की गई है। इसके साथ ही आइफिल टॉवर पर यूक्रेनी झंडा जगमगाते हुए दिखा। यूक्रेन का समर्थन करने वाले पश्चिमी देशों से रूस अभी भी नाराज है और आए दिन पुतिन इन देशों को चेतावनी देते नजर आते हैं। यूक्रेन के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु का कहना है कि ये लड़ाई पश्चिमी देशों के अस्तित्व की लड़ाई है। 

इस सबके बीच, एक डरावनी बात ये है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जंग को और आगे बढ़ाना चाहते हैं। इसका उदाहरण है नई मल्टी-वारहेड अंतरमहाद्विपीय बैलिस्टिक मिसाइलों की तैनाती की घोषणा। इसी के साथ, पुतिन ने परमाणु हथियारों के नियंत्रण पर अमेरिका के साथ की गई संधि को भी निलंबित कर दिया है। हालांकि, व्लादिमीर पुतिन कई बार यूक्रेन से युद्ध विराम के लिए बातचीत करने पर सहमति जता चुके हैं, लेकिन यूक्रेन भी अब अड़ चुका है कि वह तब तक बातचीत में शामिल नहीं होगा, जब तक रूसी सेना उसके क्षेत्र से बाहर नहीं जाती।