सायरन की आवाज का इस्तेमाल न करें, भारत-पाक तनाव के बीच न्यूज चैनलों को सरकार का निर्देश

सायरन की आवाज का इस्तेमाल न्यूज चैनल्स के प्रोग्रामों में धड़ल्ले से किया जा रहा था, जिसकी वजह से लोग इसे सारा दिन सुनते रहते हैं। इससे सायरन जैसी संवेदनशील आवाज अब नॉर्मल सी लगने लगी है।

Updated: May 10, 2025, 05:44 PM IST

नई दिल्ली। भारत और पाकिस्‍तान के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है। भारतीय सेना के पराक्रम के आगे पाकिस्‍तान को लगातार मुंह की खानी पड़ रही है। भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने बीती रात पाकिस्तान की ओर से किए गए अधिकांश हमलों को नाकाम कर दिया। युद्ध जैसे हालात के बीच भारतीय न्यूज चैनलों को असंवेदनशील रिपोर्टिंग को लेकर केंद्र की ओर से लगातार चेतावनी दी जा रही है। इसी बीच अब सायरन की आवाज का इस्तेमाल से बचने को भी कहा गया है।

सायरन की आवाज का इस्तेमाल न्यूज चैनल्स के प्रोग्रामों में धड़ल्ले से किया जा रहा था, जिसकी वजह से लोग इसे सारा दिन सुनते रहते हैं। इससे सायरन जैसी संवेदनशील आवाज अब नॉर्मल सी लगने लगी है। ऐसे में अब गृह मंत्रालय को इस संबंध ने आदेश जारी करना पड़ा है। न्यूज चैनल्स को निर्देश दिए गए हैं कि वे लोगों को दोनों देशों के बीच चल रहे हालात की जानकारी देने वाले प्रोग्रामों में सायरन की आवाज का इस्तेमाल न करें।

गृहमंत्रालय के आदेश में कहा गया है कि न्यूज चैनल्स नागरिक सुरक्षा हवाई हमले के सायरन की आवाज़ का लगातार इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसकी वजह से सायरन के प्रति नागरिकों की संवेदनशीलता कम हो सकती है। गृह मंत्रालय ने आगे कहा कि लगातार सायरन की आवाज सुनते रहने से लोग वास्तविक हवाई हमले के दौरान इस्तेमाल होने वाले सायरन को नॉर्मल समझने लगेंगे।

गृह मंत्रालय ने कहा है कि नागरिक सुरक्षा अधिनियम, 1968 के मुताबिक, सभी न्यूज चैनल्स नागरिक सुरक्षा तैयारियों को बढ़ाने में सरकार का सहयोग करें। गृह मंत्रालय ने इस अधिनियम की धारा 3 (1) (डब्ल्यू) (0) के तहत दी गई शक्तियों को याद दिलाते हुए सभी मीडिया चैनलों से सायरन की आवाज़ का उपयोग करने से बचने के निर्देश दिए हैं।

गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने के बाद से न्यूज चैनलों पर संघर्ष से जुड़ी खबरें बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने की होड़ लगी है, जिसे सनसनीखेज बनाने के लिए शो में हवाई हमले के संकेत देने वाले सायरन की आवाजा का भरपूर इस्तेमाल किया जा रहा है। इसको लेकर कई पूर्व सैन्य अधिकारियों और वरिष्ठ पत्रकारों ने भी सोशल मीडिया पर चिंता जताते हुए आपत्ति जताई थी।