मालेगांव बम ब्लास्ट केस में प्रज्ञा ठाकुर की बढ़ी मुश्किलें, NIA ने की मौत की सजा देने की मांग

NIA ने मुंबई के स्पेशल कोर्ट से 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में प्रज्ञा ठाकुर समेत सभी सात आरोपियों को UAPA की धारा 16 के तहत मौत अथवा आजीवन कारावास की सजा देने की मांग की है।

Updated: Apr 24, 2025, 03:40 PM IST

मुंबई। मालेगांव बम ब्लास्ट केस में बीजेपी नेत्री व भोपाल से पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने मुंबई के स्पेशल कोर्ट से 2008 के इस मामले में प्रज्ञा ठाकुर समेत सभी सात आरोपियों को मौत अथवा आजीवन कारावास की सजा देने की मांग है। जांच एजेंसी ने कहा है कि गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) की धारा 16 के तहत सभी आरोपियों को सजा दी जाए। 

रिपोर्ट्स के मुताबिक 17 साल से चल रहे इस मामले की दलीलें पूरी होने के बाद शनिवार को NIA की ओर से आखिरी लिखित दलील दायर की गई। NIA द्वारा दायर की गई यह दलील 1,500 से अधिक पृष्ठ लंबी बताई जा रही है। मामले में भाजपा नेत्री प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल प्रसाद पुरोहित, मेजर रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, समीर कुलकर्णी, स्वामी दयानंद पांडे और सुधाकर चतुर्वेदी पर एक व्यापक साजिश के तहत विस्फोट की साजिश रचने और उसे अंजाम देने का आरोप है।

हालांकि, NIA पर पूर्व में प्रज्ञा ठाकुर को बरी करने की कोशिश के भी आरोप लगे थे। अब जांच एजेंसी ने अब अपना रुख बदल दिया है। एजेंसी ने अदालत से इन आरोपियों पर किसी भी तरह की नरमी न बरतने का आग्रह किया है। लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में 323 गवाहों में से 32 ने कथित तौर पर दबाव में आकर अपने बयान वापस ले लिए थे।

इस मामले पर जमीयत उलेमा महाराष्ट्र के लीगल सेल के वकील शाहिद नदीम ने मीडिया को बताया कि जांच एजेंसी ने UAPA की धारा 16 का हवाला देते हुए आरोपियों के लिए सख्त सजा की अपील की है। उन्होंने कहा कि अगर किसी आतंकवादी गतिविधि के परिणामस्वरूप लोगों की मौत होती है तो दोषी को मौत की सजा दी जा सकती है।

जमीयत के सीनियर वकील शरीफ शेख ने भी कहा कि भाजपा नेत्री प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ साजिश की गंभीर सबूत मौजूद है। उन्होंने कहा कि प्रज्ञा ठाकुर ने इस साजिश की बैठकों में न सिर्फ हिस्सा लिया बल्कि उनकी मोटरसाइकिल एलएमएल फ्रीडम का इस्तेमाल बम लगाने के लिए किया गया था। उन्होंने तर्क दिया कि यह अकेले ही उनकी स्पष्ट संलिप्तता को दर्शाता है।

मामले में कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। जज एके लाहोटी 8 मई को फैसला सुनाएंगे। बता दें कि सितंबर, 2008 का मालेगांव विस्फोट उन पहली आतंकी घटनाओं में से एक था, जिसमें दक्षिणपंथी हिंदुत्व समूहों को संदिग्ध के तौर पर नामित किया गया था। महाराष्ट्र एटीएस की शुरुआती जांच में प्रज्ञा ठाकुर को मुख्य आरोपी माना गया था, लेकिन बाद में NIA ने उनसे पूछताछ करने में आनाकानी की, जिसे लेकर सवाल उठने लगे। अब इस मामले में NIA ने मौत की सजा की मांग की है।