इंजीनियर ने 38 साल पहले डाली थी तलाक की अर्जी, बच्चों के विवाह के बाद आया कोर्ट का फैसला

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 38 साल पुराने मामले में फैसला सुनाते हुए दंपती को तलाक की अनुमति दी है। इंजीनियर पति को तलाक के लिए अपनी पत्नि को 12 लाख रुपए देने होंगे।

Updated: Aug 07, 2023, 06:12 PM IST

Image courtesy- NYT
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भोपाल। मध्य प्रदेश में एक अजब-गजब मामला सामने आया है। यहां भोपाल के एक दंपति को तलाक के लिए 38 सालों का इंतजार करना पड़ा है। सन् 1985 में कोर्ट में इंजीनियर पति के द्वारा तलाक की अर्जी लगाई गई थी। अर्जी पर कोर्ट ने इंजीनियर पति को एकमुश्त 12 लाख रुपए अपनी पत्नी को देने के साथ दोनों पक्षों की सहमति से विधिवत तलाक की अनुमति दी है। 

इंजीनियर की शादी सन् 1981 में हुई थी लेकिन 4 सालों तक पत्नी को बच्चा नहीं होने के कारण पति ने सन् 1985 तलाक में की अर्जी लगाई थी लेकिन उसका दावा खारिज हो गया था। रिटायर्ड इंजीनियर भोपाल के रहने वाले हैं और उनकी पत्नी ग्वालियर की थीं। 1985 से ही पति पत्नी दोनों अलग अलग रह रहे थे।

1989 में पत्नी ने पारिवारिक न्यायालय,ग्वालियर में संबंधों की बहाली के लिए आवेदन दायर किया था। जिस पर कोर्ट ने पति को तलाक का हकदार माना था और उसके पक्ष में फैसला दिया। इसके बाद मार्च 1990 में पति ने दूसरी शादी कर ली। इसके बाद पहली पत्नी ने तलाक के आदेश के खिलाफ अपील की,जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।  

अप्रैल 2000 में विदिशा में पति का लंबित तलाक का मामला कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके बाद पति ने हाईकोर्ट में अपील की जिसे हाई कोर्ट ने 2006 में खारिज कर दी थी। इसके खिलाफ पति ने 2008 में सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर जो खारिज हो गई थी। पति ने फिर तलाक के लिए  पुन: 2008 में आवेदन किया लेकिन जुलाई 2015 में विदिशा कोर्ट ने पति का आवेदन खारिज कर दिया। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में अपील दायर की।

अब जाकर हाईकोर्ट ने दंपति को तलाक की अनुमति दी है। इंतजार इतना लंबा हो चुका कि तलाक की अर्जी लगाने वाले इंजीनियर के दूसरी पत्नी से हुए बच्चों तक की शादी हो चुकी है।