MP के किसानों के साथ हो रहा भेदभाव, बासमती चावल को GI टैग दे सरकार, दिग्विजय सिंह ने PM मोदी को लिखा पत्र
दिग्विजय सिंह ने पूछा कि क्या मध्य प्रदेश के बासमती किसानों को इसलिए जीआई टैग से वंचित रखा जा रहा है क्योंकि यहां पंजाब और हरियाणा के व्यापारियों एवं उत्पादकों की लॉबी सक्रिय है?
भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने प्रदेश में उत्पादित बासमती चावल को जी.आई. टैग (Geographical Indication) न दिए जाने को लेकर चिंता जताई है। पूर्व मुख्यमंत्री ने इसे एक गंभीर मुद्दा बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विस्तृत पत्र लिखा है और मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने कहा है कि मध्य प्रदेश के बासमती उत्पादक किसानों के साथ वर्षों से हो रहा अन्याय अब असहनीय हो चुका है और केंद्र सरकार को इस विषय पर निष्पक्ष एवं किसान हितैषी निर्णय लेना चाहिए।
दिग्विजय सिंह ने अपने पत्र में बताया है कि राज्य में प्रतिवर्ष 4 लाख मीट्रिक टन से अधिक बासमती चावल का उत्पादन हो रहा है तथा उत्पादन में लगातार वृद्धि भी दर्ज की जा रही है। मध्य प्रदेश का बासमती चावल उच्च गुणवत्ता वाला है और इसका बड़े पैमाने पर विदेशों में निर्यात भी होता है, परंतु जी.आई. टैग न मिलने के कारण राज्य के किसानों को उनका उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है।
पत्र में उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि पंजाब व हरियाणा सहित अन्य राज्यों के व्यापारी, मध्यप्रदेश में उत्पादित बासमती चावल पर अपना जी.आई. टैग लगाकर निर्यात कर रहे हैं। इससे मध्यप्रदेश के किसानों की मेहनत का प्रत्यक्ष लाभ दूसरे राज्यों को मिल रहा है, जो अनुचित और किसान-विरोधी स्थिति है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने बताया कि मध्य प्रदेश सरकार वर्ष 2008 से बासमती चावल के जी.आई. टैग के लिए लगातार आवेदन कर रही है। वर्ष 2013 में डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान मध्यप्रदेश के बासमती चावल को जी.आई. टैग मंजूर किया जा चुका था, लेकिन वर्ष 2016 में आपकी सरकार के कार्यकाल में एपीडा (APEDA) ने यह जी.आई. टैग वापस ले लिया, जबकि मध्य प्रदेश का बासमती चावल गुणवत्ता में पंजाब व हरियाणा से किसी भी दृष्टि से कम नहीं है, बल्कि कई मापदंडों पर बेहतर है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय किसानों के हितों के प्रतिकूल था और आज तक इसका स्पष्ट कारण भी सामने नहीं आया है।
दिग्विजय सिंह ने बताया कि उत्तरप्रदेश में एक ही दिन में 21 जी.आई. टैग दिए गए, और वर्तमान में उनके पास कुल 77 जी.आई. टैग हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या मध्यप्रदेश के बासमती किसानों को इसलिए जी.आई. टैग से वंचित रखा जा रहा है क्योंकि यहां पंजाब और हरियाणा के व्यापारियों एवं उत्पादकों की लॉबी सक्रिय है? क्या मध्यप्रदेश के किसानों की मेहनत और अधिकार कम महत्वपूर्ण हैं? उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार में कृषि मंत्री भी मध्यप्रदेश से हैं और राज्य में लंबे वर्षों तक मुख्यमंत्री रह चुके हैं, बावजूद इसके राज्य के किसानों को न्याय नहीं मिल रहा यह आश्चर्य और चिंता का विषय है।
अपने पत्र में दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि मध्यप्रदेश में उत्पादित बासमती चावल को तुरंत जी.आई. टैग देने की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाए, किसानों को उनके उचित अधिकार से वंचित करने वाली बाधाओं को दूर किया जाए और इस विषय को प्राथमिकता के साथ लेकर किसानों के हितों की रक्षा की जाए। उन्होंने कहा कि जी.आई. टैग मिलने से न केवल किसानों को आर्थिक लाभ होगा, बल्कि भारत के बासमती चावल के निर्यात में भी महत्वपूर्ण बढ़ोतरी होगी।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश का बासमती चावल उच्च गुणवत्ता वाला है और दुनिया में अपनी पहचान बना सकता है। केंद्र सरकार को यह समझना होगा कि जी.आई. टैग न मिलने से हमारे किसानों के साथ गहरा अन्याय हो रहा है। मैं माननीय प्रधानमंत्री से निवेदन करता हूँ कि वे अविलंब इस विषय में हस्तक्षेप करें और किसानों को उनका हक दिलाएँ।




