MP: अस्पतालों के निजीकरण के विरुद्ध सिविल सोसाइटी का सत्याग्रह, फैसले को रद्द करने की मांग
स्वास्थ्य व्यवस्था को निजी हाथों में सौंपे जाने के विरोध में रविवार को अस्पताल बचावा जिउ बचावा संघर्ष मोर्चा द्वारा सीधी कलेक्ट्रेट के सामने अस्पताल बचावा जिउ बचावा सत्याग्रह आंदोलन किया गया।
सीधी। मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार शासकीय जिला अस्पतालों का निजीकरण कर रही है। इसी साल मार्च में हुए कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया गया था की अस्पतालों को PPP मोड पर मेडिकल कॉलेज बनाया जाएगा और निजी कंपनियां इसका संचालन करेगी। इसके विरुद्ध स्वास्थ्य संगठनों व सिविल सोसाइटी ने मोर्चा खोल रखा है। स्वास्थ्य व्यवस्था को निजी हाथों में सौंपे जाने के विरोध में रविवार को अस्पताल बचावा जिउ बचावा संघर्ष मोर्चा द्वारा कलेक्ट्रेट के सामने "अस्पताल बचावा जिउ बचावा सत्याग्रह आंदोलन" किया गया।
सत्याग्रह आंदोलन में उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए टोको-रोको-ठोको क्रांतिकारी मोर्चा के संयोजक उमेश तिवारी ने बताया की प्रदेश के 12 जिला अस्पताल 348 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और 161 सिविल अस्पताल को ठेकेदारी में दिए जाने के प्रदेश सरकार के निर्णय के विरोध में सीधी जिले के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सेमरिया, चुरहट, रामपुर, खाम्ह, मझौली, कुसमी और सिहावल में "अस्पताल बचावा जिउ बचावा सत्याग्रह आंदोलन" के बाद आज सीधी कलेक्ट्रेट के सामने सत्याग्रह आंदोलन किया जा रहा है।
तिवारी ने कहा कि मध्य प्रदेश एक ऐसा प्रदेश है जिसमें एक तिहाई जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे आती है। साथ ही जहां कुपोषित शिशुओं और मातृ मृत्यु दर की संख्या देश में सबसे ज्यादा है। वहां जनता की जीवनरक्षा के लिए उपलब्ध न्यूनतम राहत का जरिया रहे इन सरकारी अस्पतालों का भी निजीकरण करने से प्रदेश का गरीब और मध्यमवर्गीय तबका इलाज से पूरी तरह महरूम हो जाएगा। आम गरीब मजदूर बिना इलाज के ही दम तोड़ देगा। जन विरोध एवं स्वास्थ्य संगठनों के विरोध के चलते प्रदेश सरकार अधूरी मांगो को माननें कि बात कही जा रही है। सरकार के इस घोर जन विरोधी निर्णय पर विपक्षी पार्टियों कि चुप्पी घोर निंदनीय है।
इस दौरान जन स्वास्थ्य अभियान के राष्ट्रीय संयोजक अमूल निधि नें कहा कि विगत दिनों मप्र सरकार कैबिनेट ने प्रदेश के अस्पतालों को PPP मॉडल पर निजी हाथों में देने के निर्णय लिया गया है जो जन विरोधी है, साथ ही जिलों में निजी निवेशकों को मेडिकल कॉलेज बनाने हेतु सस्ते दामों पर जमीन उपलब्ध कराने के साथ ही उन निजी मेडिकल कॉलेज से शहर के उन सरकारी जिला अस्पतालों को जोड़ा जाना है जिनमें 300 बिस्तरों की सुविधा मौजूद है, साथ ही ऐसे अस्पतालों के स्टाफ को भी निजी निवेशकों को सौंपा जायेगा तथा निजी निवेशक को मरीज से शुल्क वसूलने का अधिकार होगा।
बरगी बांध जबलपुर विस्थापित संघ के राजकुमार सिन्हा नें कहा कि विंध्य समाजवादियों का गढ़ रहा है और सीधी इस तेवर की अलख जगाये हुए हैं। आज के सत्याग्रह आंदोलन से यही साबित हो रहा है। निजीकरण व्यवस्था से आप इंसानियत की उम्मीद नहीं कर सकते आपको लड़ाई लड़नी ही होगी। सवाल यह है निजीकरण से तो पूँजीपति को फायदा होगा लेकिन गरीब तबके का क्या होगा? स्वास्थ्य के क्षेत्र में बीमा कंपनियों का बड़ा खेल चल रहा है। बीमा कराने वाले मरीजों को पैसा नहीं देते हैं। तमाम निजीकरण के खिलाफ आपको लड़ना होगा। आजादी की लड़ाई लड़ने वालों नें क्या यही सोचा था कि देश कुछ पूंजी पतियों कि जागीर होगा।
सत्याग्रह धरने के बाद मध्य प्रदेश के राज्यपाल के नाम 6 सूत्री मांगपत्र का ज्ञापन तहसीलदार को सौंपा गया।
मुख्य मांगें
1. मप्र सरकार केबिनेट का सीधी जिले सहित प्रदेश के 10 जिला अस्पतालों, 348 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और 51 सिविल अस्पताल को PPP मॉडल पर निजी हाथों में देने के निर्णय तुरंत रद्द करनें को निर्देशित करें।
2. मध्य प्रदेश के सभी जिलों में सरकारी मेडिकल कॉलेज खोले जाएं एवं उनका संचालन सरकार के द्वारा किया जाए।
3. स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र , प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर चिकित्सक एवं स्टाफ की पर्याप्त स्थाई भर्ती की जाए।
4. स्वास्थ्य सेवाओं के निजीकरण पर रोक लगाएं।
5. मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य बजट को बढ़ाया जाए।
6. जिला अस्पताल सीधी में कार्यरत समस्त आउट सोर्स कर्मचारियों (संख्या 25) का वर्ष 2022 एवं वर्ष 2023 का वेतन नहीं मिला है, वेतन शीघ्र भुगतान किया जाए।