उज्जैन: विदेश में एमबीबीएस एडमिशन के नाम पर छात्रा से 8 लाख की ठगी, दूतावास की मदद से लौटी भारत

इंदौर की एमबीबीएस छात्रा के साथ उज्जैन के दलालों ने 8 लाख की ठगी की। पढ़ाई पूरी कराने के नाम पर कजाकिस्तान भेजा, जहां न एडमिशन हुआ न ठिकाना मिला। छह महीने तक फंसी रही, फिर भारतीय दूतावास की मदद से लौटी।

Publish: Jun 15, 2025, 02:12 PM IST

Photo Courtesy: DB
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उज्जैन| रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण एमबीबीएस की पढ़ाई अधूरी छोड़कर भारत लौटी इंदौर की एक छात्रा के साथ उज्जैन के कुछ एजेंटों ने 8 लाख रुपये की ठगी कर दी। पढ़ाई पूरी कराने का भरोसा देकर उसे कजाकिस्तान भेजा गया, लेकिन वहां न तो उसका एडमिशन हुआ और न ही रहने की व्यवस्था मिली। छह महीने तक परेशान रहने के बाद छात्रा ने भारतीय दूतावास की मदद से वापसी की और उज्जैन आकर एफआईआर दर्ज करवाई। पुलिस ने इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया है।

जानकारी के अनुसार, कृति यादव नाम की छात्रा ने 2018 में उज्जैन के आरिफ खान के जरिए जॉर्जिया की एक यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस में दाखिला लिया था। चार साल की पढ़ाई पूरी कर चुकी कृति को 2022 में युद्ध के कारण भारत लौटना पड़ा। बाकी बचे एक साल की पढ़ाई के लिए उसने फिर से आरिफ से संपर्क किया। आरिफ ने अपने साथियों शाहरुख मंसूरी, गोमू और शाहीन मंसूरी के साथ मिलकर उसे कजाकिस्तान की एक मेडिकल यूनिवर्सिटी में दाखिले का झांसा दिया। उन्होंने छात्रा से तीन लाख रुपये, पासपोर्ट और सभी जरूरी दस्तावेज ले लिए, लेकिन कोई रसीद नहीं दी। बाद में और पैसे की मांग की गई और इनकार करने पर जान से मारने की धमकी दी गई। डर के कारण छात्रा ने पांच लाख रुपये और दे दिए।

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कजाकिस्तान पहुंचने पर उसे ठगी का पता चला, क्योंकि न तो कोई एडमिशन हुआ था और न ही उसकी कोई व्यवस्था की गई थी। एजेंटों ने उसके दस्तावेज भी छीन लिए और एक दूर-दराज के इलाके में भेज दिया। वहां छह महीने तक वह बाहर नहीं निकल सकी। आखिरकार किसी तरह उसने भारतीय दूतावास से संपर्क किया और भारत लौटने में सफल रही। बाद में उसने किर्गिस्तान के बिश्केक शहर में अपनी पढ़ाई पूरी की।

भारत लौटने के बाद जब छात्रा ने एजेंटों से अपने पैसे वापस मांगे तो उसे दोबारा धमकियां मिलने लगीं। उसने महाकाल थाना उज्जैन में शिकायत दर्ज कराई, जिसके आधार पर पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी “S.M. Educate” नाम की फर्जी एजुकेशन कंसल्टेंसी चला रहे थे, जो विदेश में मेडिकल एडमिशन के नाम पर छात्रों को धोखा देते थे। बिना किसी वैध प्रक्रिया के वे छात्रों को विदेश भेजते थे, जहां पहुंचने के बाद ही छात्रों को असलियत का पता चलता था।