जी भाईसाहब जी: सीएम मोहन यादव से बीजेपी नेताओं को खतरा
MP Politics: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अपने एक निर्णय से कई नेताओं की राजनीतिक जमीन खिसका दी है। जिलों की राजनीति कर रहे ऐसे नेताओं का भविष्य अब एक आयोग की अनुशंसा पर आ कर टिक गया है।

देश के ह्रदय प्रदेश मध्य प्रदेश के भौगोलिक नक्शे में परिवर्तन के लिए डॉ. मोहन यादव सरकार ने परिसीमन आयोग का गठन कर दिया है। यह कदम राजनीतिक रूप से चौंकाने वाला है क्योंकि बीजेपी ने पिछले कुछ सालों में जनता के आक्रोश को छिपाने के लिए नए जिलों का गठन किया और इस आधार पर चुनाव में जीत भी हासिल की। इसी राजनीतिक चातुर्य के तहत सागर की दो तहसीलों खुरई और बीना को जिला बनाने के लिए बीजेपी में घमासान मचा हुआ है।
माना जा रहा था कि कांग्रेस छोड़ कर आई विधायक निर्मला सप्रे की मांग को पूरा करने के लिए बीना को नया जिला बनाया जा सकता है। इसके मुकाबले सागर जिले की दूसरी तहसील खुरई जिला बनवाने के लिए वरिष्ठ बीजेपी नेता भूपेंद्र सिंह सहित अन्य संगठन मैदान में आ गए थे। लेकिन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सारे समीकरणों को एक तरफ करते हुए आयोग गठित कर दिया।
हालांकि, उम्मीद जताई जा रही है कि इस परिसीमन से बड़े जिले और संभाग छोटे होंगे और जनता को राहत मिलेगी। लेकिन यह परिसीमन आबादी के जिन आंकड़ों पर होगा वे 13 साल पुराने हैं। 2011 के बाद जनगणना नहीं हुई है। पुराने आंकड़ों से नया क्षेत्र कैसे आकार लेगा यह बड़ा सवाल है।
मगर इस प्रशासनिक निर्णय के अपने राजनीतिक निहितार्थ हैं। सागर, खरगोन, शिवपुरी, बालाघाट, छिंदवाड़ा, छतरपुर, गुना और धार में भी तहसीलों को जिला बनाने की मुहिम लगातार जारी है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं।
संभाग और जिलो का परिसीमन कई राजनेताओं के भविष्य को प्रभावित करेगा। इससे जातिगत और जनाधार के आधार पर राजनीतिक समीकरण बदल जाएंगे। ऐसे में जिलों की राजनीति कर रहे नेताओं के सामने अपनी ही सरकार में अपनी बात मनवाने का नया संकट आ खड़ा हुआ है। अपनी मांग के अनुसार जिला बनावा लेना ऐसे नेताओं की राजनीतिक हैसियत भी तय करेगा।
बैकफुट पर बीजेपी, एमपी से खड़ा होगा नया किसान आंदोलन
सोयाबीन प्रदेश मध्य प्रदेश में सोयाबीन की फसल के कम दाम किसानों के लिए मुसीबत बन चुके है। फसल बिगड़े या बंपर आवक हो, किसानों को हर बार खाली हाथ ही रहना पड़ता है। किसानों को सोयाबीन के छह हजार रुपए प्रति क्विंटल का दाम दिलवाने के लिए कांग्रेस ने मोर्चा खोल दिया है।
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को सीधे चुनौती देते हुए कहा है कि जब तक सोयाबीन की फसल का सही दाम नहीं दिया जाएगा, तब तक वे कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को चैन से सोने नहीं देंगे। सोयाबीन के दाम 6 हजार रुपये प्रति क्विंटल करवाने के लिए 10 सितंबर से मंदसौर से आंदोलन की शुरुआत हो चुकी है। 13 सितंबर को होशंगाबाद और 15 सितंबर को आगर मालवा में किसानों का आंदोलन होगा। 20 सितंबर को पूरे प्रदेश में आंदोलन किया जाएगा।
कांग्रेस के इस आंदोलन ने बीजेपी सरकार की मुसीबत बढ़ा दी है क्योंकि केन्द्र सरकार ने किसानों को राहत देने के लिए सोयाबीन के समर्थन मूल्य 4892 रुपए तय कर सिर्फ महाराष्ट्र, तेलंगाना और कर्नाटक के लिए ही लागू किया है। जबकि मध्य प्रदेश में चुनाव जैसी मजबूरी नहीं है। कांग्रेस के इस हमलावर रूख के बाद बीजेपी बैकफुट पर है। कृषिमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है सोयाबीन खरीद की दो योजनाएं हैं। मध्य प्रदेश सरकार जैसा चाहेगी, वैसे सोयाबीन खरीद ली जाएगी।
इसबीच मोहन सरकार ने सोयाबीन का समर्थन मूल्य बढ़ाकर 4800 रुपए क्विंटल किए जाने का प्रस्ताव केंद्र को भेजने का निर्णय लिया है। लेकिन कांग्रेस की मांग तो 6 हजार रुपए प्रति क्विंटल की है। कांग्रेस इस आधार पर केवल मध्यप्रदेश में ही नहीं देश के दूसरे हिस्सों में भी किसानों को एकजुट कर बड़ा आंदोलन खड़ा कर सकती है।
क्यों है अपराधियों का बीजेपी कनेक्शन?
सत्ता भ्रष्ट करती है और पूर्ण सत्ता पूर्ण भ्रष्ट करती है... क्या एमपी में बीजेपी के साथ ऐसा ही हो रहा है? लंबे समय से सत्ता में काबिज बीजेपी के नेताओं पर अपराधियों और अन्य आरोपियों के साथ राजनीतिक और नजदीकी रिश्तों के आरोप लग रहे हैं। बीते सप्ताह राज्यमंत्री प्रतिमा बागरी के जीजा को नशीले पदार्थ की तस्कारी में पकड़ा गया। सरकारी कर्मचारियों के बाद सिंगरौली में एक आदिवासी युवक रेत माफिया का शिकार हुआ। ट्रैक्टर से कुचलकर हत्या के बाद भी कार्रवाई नहीं होने पर कांग्रेस ने आरोप लगाया कि आरोपी बीजेपी के देवसर विधायक का करीबी है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के गृहनगर उज्जैन से 60 किलोमीटर दूर स्थित नागदा में एक साधु के साथ मारपीट व अभद्र व्यवहार किया गया। आरोप है कि साधु के साथ अभद्रता पूर्व में राज्यमंत्री का दर्जा पाए बीजेपी नेता के भाई ने की है। रतलाम में तो बात आरोपों से आगे निकल कर एफआईआर तक पहुंच गई। गणेश चतुर्थी पर स्थापना के लिए ले जा रही प्रतिमा पर पथराव की अफवाह फैलने से शहर का माहौल बिगड़ गया था। पुलिस की सक्रियता से स्थिति नियंत्रण में रही। जांच के बाद एसपी राहुल कुमार लोढ़ा ने खुलासा किया कि पत्थरबाजी की घटना हुई ही नहीं थी। जिन लोगों ने यह अफवाह फैला कर माहौल बिगाड़ने पर जिन लोगों के खिलाफ एफआईआर हुई है उनमें बीजेपी नेता जलज सांखला मे शामिल हैं।
उज्जैन में भरी दोपहर सड़क पर महिला के साथ दुष्कृत्य जैसे अपराधों पर सरकार की किरकिरी तो हो ही रही है। अपराधों में बीजेपी नेताओं और उनके करीबियों के शामिल होने से पार्टी की रीति-नीति पर भी सवाल तो उठेंगे ही।
... तो जंबो नहीं होगी कांग्रेस की कार्यकारिणी
युवा नेता जीतू पटवारी के हाथों में मध्य प्रदेश कांग्रेस की बागडोर आने को 9 माह होने को आए हैं लेकिन अब तक उनकी कार्यकारिणी का गठन नहीं हो सका है। वे अकेले के दम पर पूरे प्रदेश में विभिन्न आंदोलनों के माध्यम से पार्टी की गतिविधियों को गति दे रहे हैं लेकिन कार्यकारिणी का गठन न होने से कई क्षेत्रों में असंतोष भी है। यह भी आकलन है कि कार्यकारिणी होगी तो प्रदेश कांग्रेस अधिक सक्रियता और ताकत से काम कर पाएगी।
आमतौर पर विपक्ष की कार्यकारिणी का आकार बड़ा रखा जाता है ताकि ज्यादा से ज्यादा नेताओं को तथा सभी क्षेत्रों को प्रतिनिधित्व मिल सके। लेकिन लगता है कि जीतू पटवारी की कार्यकारिणी जंबो नहीं होगी। यह संकेत एक निर्णय से मिला है। प्रदेश के प्रभारी सचिवों और संयुक्त सचिवों को जिलों का प्रभारी बनाया गया है। ये जिलों के सक्रिय और निष्क्रिय कार्यकर्ताओं और नेताओं की जानकारी संगठन से साझा करेंगे। इस रिपोर्ट के आधार पर कार्यकारिणी का गठन होगा। यानी, इस बार कार्यकारिणी में अधिक से अधिक नेताओं को जगह दे कर सबको संतुष्ट करने के फार्मूले की जगह रिजल्ट देने वाले नेताओं को शामिल कर कांग्रेस की ताकत बढ़ाई जाएगी।