MP: नाबालिग रेप पीड़िता को आरोपी के घर भेजा, फिर हुआ बलात्कार, 10 अफसरों पर FIR
पन्ना में रेप पीड़िता को आरोपी के घर भेजने के मामले में पुलिस ने बाल कल्याण समति के अध्यक्ष, पांच सदस्य समेत 10 लोगों पर एफआईआर दर्ज की है।

पन्ना। मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में बाल कल्याण समिति ने हैरान करने वाला कारनामा कर दिया। समिति ने नाबालिग रेप पीड़िता को आरोपी के घर भेज दिया, जहां उसके साथ दोबारा रेप किया गया। अब इस मामले में छतरपुर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष, पांच सदस्य, जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी, वन स्टॉप सेंटर की प्रशासक, काउंसलर, केस वर्कर और एक अन्य महिला समेत कुल 10 लोगों पर अलग-अलग धाराओं में एफआईआर दर्ज की है। छतरपुर पुलिस महिला बाल विकास अधिकारी से पूछताछ कर रही है।
छतरपुर के लवकुशनगर एसडीओपी नवीन दुबे ने बताया कि बाल कल्याण समिति और अधिकारियों के गलत फैसले के कारण नाबालिग के साथ आरोपी ने दोबारा दुष्कर्म किया। गलत फैसले की वजह से नाबालिग को फिर शिकार होना पड़ा। जांच में सामने आया है कि जिला कार्यक्रम अधिकारी और वन स्टॉप सेंटर के कर्मचारियों ने मामले को दबाने की कोशिश भी की। वहीं गलत फैसला करने वाले और मामले को छिपाने वालों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। पन्ना में बाल सुधार ग्रह नहीं होने की वजह से छतरपुर पुलिस जांच कर रही है।
इस दर्दनाक घटनाक्रम की शुरुआत 16 जनवरी 2025 को हुई, जब पन्ना जिले के एक गांव की रहने वाली नाबालिग स्कूल जाने के लिए घर से निकली और लापता हो गई। परिजनों ने तुरंत स्थानीय पुलिस स्टेशन में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने 17 फरवरी 2025 को उसे हरियाणा के गुरुग्राम से बरामद किया, जहां वह अभियुक्त के साथ थी, जो एक अलग गांव और जाति का है।
अभियुक्त को POCSO एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया, उस पर अपहरण और बलात्कार का आरोप लगा, और उसे जेल भेज दिया गया। मामला पहले पन्ना कोतवाली में दर्ज हुआ, फिर छतरपुर के जुझारनगर पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित किया गया। पुनर्वास के लिए पीड़ित को पन्ना CWC के सामने लाया गया, उसे अस्थायी आश्रय के लिए पहले पन्ना के वन स्टॉप सेंटर (OSC) में रखा गया। हालांकि, बाद में ऐसा फैसला लिया गया जो पीड़ित की कानूनी सुरक्षा और बुनियादी सहानुभूति की अवहेलना करता है, समिति ने उसे आरोपी की भाभी, जो पीड़िता की चचेरी बहन भी थी, उसके घर भेज दिया।
जमानत पर रिहा होने के बाद, उसने फिर से नाबालिग का बलात्कार किया। आरोपी को अब फिर से गिरफ्तार कर लिया गया है। जांच में बाद में खुलासा हुआ कि महिला एवं बाल विकास विभाग से कोई सामाजिक जांच रिपोर्ट नहीं ली गई, जो बच्चे के हित और खतरे से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके बजाय, यह निर्णय आरोपी के पक्ष में लिया गया, जिसके कारण पीड़िता को बार-बार बलात्कार का सामना करना पड़ा।