BJP सांसद Sadhvi Pragya Thakur ने खोली बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की पोल, पढ़ें पूरी खबर

भोपाल सांसद प्रज्ञा ठाकुर के मुताबिक उन्होंने जिन तीन गांवों को गोद लिए हैं, वहां लोगों के पास खाने के भी पैसे नहीं हैं, पुलिस उन्हें उठाकर ले जाते हैं, पुलिस को रिश्वत देने के लिए उन्हें अपनी बेटियों को बेचना पड़ता है।

Updated: Oct 01, 2022, 04:55 AM IST

भोपाल। राजधानी भोपाल से बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने केंद्र और राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है। सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की पोल खोलते हुए कहा है कि भोपाल से सटे गांवों के लोग अपनी मासूम बेटियां बेचने को मजबूर हैं। भाजपा सांसद के मुताबिक ग्रामीणों को खाने के लाले हैं और जब पुलिस उन्हें गिरफ्तार करती है तो रिश्वत देने के लिए बेटियों को बेचते हैं।

प्रज्ञा ठाकुर के इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रज्ञा ठाकुर ने यह बयान 17 सितंबर को दिया था जब देशभर में बीजेपी द्वारा प्रधानमंत्री मोदी का जन्मदिवस मनाया जा रहा था। स्वयं पीएम मोदी भी उस दिन मध्य प्रदेश में ही थे। प्रज्ञा ठाकुर शनिवार को व्यापारियों के संगठन ‘भारतीय उद्योग व्यापार मंडल मध्य प्रदेश’ के कार्यक्रम में शामिल हुईं थीं।

व्यापारी संगठन ने इस कार्यक्रम में सांसद ठाकुर द्वारा गोद लिए गांव के बच्चों के लिए सामग्री भेंट की थी। इस दौरान मंच से संगठन का आभार जताने के बाद सांसद ने उनकी पीड़ा बताई। उन्होंने कहा कि, 'उन गांवों में लोगों की इतनी बुरी हालत है कि वहां खाने पीने को भी कुछ नहीं है। मैंने जिन तीन गांवों को गोद लिया है, उनमें लगभग 250-300 बच्चे हैं।'

उन्होंने आगे कहा कि, 'लोगों के पास न शिक्षा का साधन है, न ही उनके माता-पिता के पास कमाई का कोई जरिया है। वे लोग कच्ची शराब बनाने और बेचने का काम करते हैं। उन्हें कभी-कभी पुलिस पकड़कर ले जाती है। उनको छुड़वाने के लिए उन लोगों के पास पैसे नहीं होते हैं, तो वे अपनी मासूम बच्चियों को बेच देते हैं। फिर उससे वो अपने लोगों को छुड़वाते हैं।'

प्रज्ञा ठाकुर के बयान के बाद कांग्रेस हमलावर हो गई है। कांग्रेस मीडिया विभाग की उपाध्यक्ष संगीता शर्मा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सांसद खुद उनकी सरकार के 18 साल के काम और उनके दावों की पोल खोल रही हैं। सरकार स्पष्ट करे कि मासूम बेटियों के खरीददार कौन हैं। जब राजधानी भोपाल की यह हालत है तो दूर दराज के इलाकों का क्या हाल होगा।