बिजली कंपनियों ने दरें बढ़ाने के लिए दायर की याचिका, 4752 करोड़ से ज़्यादा के घाटे का दिया हवाला

मध्य प्रदेश में 2019-20 के दौरान बिजली कंपनियों को लगभग 4752 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है, पिछले 6 साल में हुआ घाटा 36 हज़ार करोड़ को पार कर गया है

Updated: Feb 10, 2021, 04:04 AM IST

Photo Courtesy: Freepress journal
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भोपाल। मध्य प्रदेश में बिजली की दरें और बढ़ सकती हैं। राज्य की तीनों बिजली वितरण कंपनियों ने अपने भारी घाटे का हवाला देते हुए रेट बढ़ाने के लिए याचिका दायर की है। दरअसल 2019-20 में प्रदेश की बिजली वितरण कंपनियों को लगभग 4752 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। पिछले 6 वर्षों में हुआ घाटा 36 हज़ार करोड़ रुपए के आंकड़े को पार कर गया है। 

बिजली वितरण कंपनियों की ओर से दरें बढ़ाने की याचिका पॉवर मैनेजमेंट कंपनी ने विद्युत नियामक आयोग के समक्ष दायर की है। इसमें बिजली कंपनियों को हुए घाटे की भरपाई करने के लिए बिजली महंगी करने की मांग की गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सबसे ज़्यादा घाटे में पूर्व क्षेत्र विद्युत कंपनी है। 

बिजली महंगी करने के लिए वितरण कंपनियों ने विद्युत नियामक आयोग के समक्ष बीते दिसंबर महीने में भी सत्यापन याचिका दायर की थी। इसमें पिछले पांच वर्षों में हुए घाटे का उल्लेख किया गया था। इस याचिका पर आयोग 5 जनवरी को सुनवाई भी कर चुका है। हालांकि इस मामले में आयोग का निर्णय फिलहाल लंबित है। 

बिजली कंपनियों की इस याचिका से काफी लोग नाखुश हैं। बिजली जानकार राजेंद्र अग्रवाल के मुताबिक बिजली कंपनियां घाटे में नहीं हैं। बिजली कंपनियां चोरी पर रोक लगाने और बकाया की वसूली में नाकाम हैं, इसलिए उन्होंने बिजली के दाम बढ़ाने की बात की है। प्रदेश में पहले से ही बिजली महंगी है, ऐसे में बिजली कंपनियों का घाटा समझ से परे है। राजेंद्र अग्रवाल ने इस पूरे मसले पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर जांच कराने की मांग है। 

दरअसल प्रदेश में बिजली पहले से ही महंगी है। विभिन्न योजनाओं और सब्सिडी के माध्यम से राज्य सरकार बिजली कंपनीयों को भुगतान करती है। ऐसी स्थिति में अगर बिजली के दाम बढ़ते हैं तो प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं के साथ साथ सरकार पर भी बोझ पड़ सकता है। इस समय प्रदेश में करीबन 1.30 करोड़ बिजली उपभोक्ता हैं। प्रदेश का हर बिजली उपभोक्ता इस समय 25 हज़ार के कर्ज़ में है।