मध्य प्रदेश में 40 फीसदी जंगल निजी कंपनियों को देने की तैयारी, पीपीपी मोड पर होगा वनों का सुधार

मध्य प्रदेश में वन क्षेत्र लगभग 95 लाख हेक्टेयर है। इसमें बिगड़े वनों का क्षेत्रफल लगभग 37 लाख हेक्टेयर है। इन्हें सुधारने के लिए सरकार जंगलों को निजी हाथों में देने की तैयारी में है।

Updated: Jan 19, 2025, 10:12 AM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार राज्य के 40 फीसदी जंगलों को निजी हाथों में देने की तैयारी कर रही है। दरअसल, सरकार वनों की स्थिति को सुधारने के लिए बिगड़े वन क्षेत्र को पब्लिक प्राइवेट पार्टनशिप (PPP) मॉडल के तहत निजी कंपनियों को देने की योजना बना रही है।

मध्य प्रदेश में वन क्षेत्र लगभग 95 लाख हेक्टेयर है। इसमें बिगड़े वनों का क्षेत्रफल लगभग 37 लाख हेक्टेयर है। यानि वन का करीब 40 फीसदी भूभाग बिगड़े वन क्षेत्र की श्रेणी में है। प्रदेश के इन वनों का सुधार अब पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) माध्यम से होगा। इसके लिए कई जंगल अब निजी हाथों में सौंपे जाएंगे। 

इस संबंध में राज्य सरकार नई नीति लाने जा रही है। इसके तहत वन भूमि पर निजी निवेशकों का अधिकार होगा। वनोपज पर भी उनका पहला अधिकार रहेगा।  वे पौधारोपण करेंगे और बिगड़े वनों में सुधार कर उनसे 60 वर्ष तक कार्बन क्रेडिट लेंगे। साथ ही नई नीति को कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी कारपोरेट (सीएसआर), एनवायरोनमेंट रिस्पांसिबिलिटी (सीईआर) एवं अशासकीय निधियों के उपयोग से वनों की पुनर्स्थापना की नीति नाम दिया गया है। 

निजी निवेशक न्यूनतम दस हेक्टेयर वन क्षेत्रफल का चयन कर सकेंगे। पिछली सरकार में भी इस तरह का प्रस्ताव लाया गया था लेकिन आदिवासी संगठनों के विरोध के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने फैसले पर अमल नहीं किया था। अब मोहन सरकार में एक बार फिर इस तरह का प्रस्ताव तैयार किया गया है।

नीति में राज्य वन विकास निगम को भी उसे मिली वन भूमि पर न्यूनतम 25 हेक्टेयर और भूमि का क्लस्टर होने पर एक हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में निजी निवेशकों से पौधारोपण करवाने का अधिकार होगा। प्रति हेक्टेयर पौधारोपण की वर्तमान लागत पांच से आठ लाख रुपये बताई गई है। बता दें कि बिगड़ा वन क्षेत्र उसे माना जाता है, जिसमें पेड़ कम हों और झाड़ियां या खाली जमीन अधिक हो।

बहरहाल, इस निर्णय का एक बार फिर से विरोध होने की संभावना है। विपक्षी दल कांग्रेस ने इस योजना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। कांग्रेस प्रवक्ता आनंद जाट ने कहा कि सुधार के नाम पर वनों को बेचने की तैयारी है। जंगल की ज़मीन पर आदिवासियों का पहला हक है। लेकिन भाजपा सरकार आदिवासियों से जंगल छीन अपने उद्योगपति मित्रों को देना चाहती है। ये बर्दाश्त से बाहर है।