क्रिसमस और न्यू ईयर पर भी उड़ानें होंगी कैंसिल, Indigo को संचालन सामान्य करने में लगेंगे तीन महीने
इंडिगो एयरलाइंस गंभीर परिचालन संकट से जूझ रही है। 2–4 दिसंबर के बीच सैकड़ों उड़ानें रद्द हुईं और बड़े एयरपोर्टों पर यात्री घंटों फंसे रहे।
नई दिल्ली। इंडिगो एयरलाइंस का संकट अब लंबा खिंचता दिख रहा है और इसका असर सीधे देशभर के यात्रियों पर पड़ रहा है। भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन ने साफ कहा है कि 10 फरवरी 2026 तक ही परिचालन पूरी तरह पटरी पर आने की संभावना है। यह टाइमलाइन बताती है कि क्रिसमस और न्यू ईयर जैसी बड़ी छुट्टियों में फ्लाइट बुक करने वालों को सफर में परेशानी झेलनी पड़ सकती है। एयरलाइन ने फ्लाइट ड्यूटी नियमों में राहत की मांग भी रखी है जिससे संकेत मिलता है कि मुश्किलें अभी और बढ़ सकती हैं।
पिछले कुछ दिनों में उड़ानें रद्द होने और घंटों की देरी ने हजारों यात्रियों की परेशानी बढ़ा दी है। सिर्फ 4 दिसंबर को दिल्ली एयरपोर्ट पर 172 उड़ानें रद्द करनी पड़ीं थी और देशभर के प्रमुख एयरपोर्टों पर भी यात्रियों को लंबा इंतजार करना पड़ा था।
इंडिगो की उड़ानों में बड़े स्तर पर व्यवधान जारी है। 4 दिसंबर को 550 फ्लाइटें रद्द हुईं थी। जबकि, 3 दिसंबर को 200 और 2 दिसंबर को सौ से अधिक उड़ानें कैंसल की गईं थीं। DGCA के अनुसार, इंडिगो की रद्द हो रही उड़ानों का औसत रोज 170-200 के पार पहुंच गया है जो सामान्य परिचालन के बिल्कुल उलट है। छह बड़े हवाई अड्डों, दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु और हैदराबाद के आंकड़े जोड़ें तो फ्लाइट ड्यूटी टाइमिंग गिरकर 20% पर आ गई है। जबकि, 2 दिसंबर को यह 35% थी।
दिल्ली से लेकर मुंबई, हैदराबाद, बेंगलुरु, गोवा और चेन्नई तक लगभग हर बड़े एयरपोर्ट पर यात्रियों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। कई यात्रियों ने बताया कि उन्हें बार-बार सिर्फ 1–2 घंटे और इंतजार करने को कहा जाता है। लेकिन अंत में उन्हें फ्लाइट कैंसिल होने की सूचना मिलती है। महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग तक 10-12 घंटे तक एयरपोर्ट पर फंसे रहे थे। संकट का असर दूसरी एयरलाइंस पर भी साफ दिखा। किराए अचानक बढ़ गए, दिल्ली से मुंबई का टिकट 4 दिसंबर को 25 हजार रुपये तक पहुंच गया जो सामान्य दिनों में 5 हजार के आसपास रहता है।
इस पूरी स्थिति के बीच इंडिगो पर स्टाफ की कमी का दबाव भी उजागर हुआ है। विमान चालक और केबिन क्रू की कम संख्या ने परिचालन और धीमा कर दिया है। एयरलाइन का तर्क है कि नए FTDL नियम लागू होने के बाद संकट और गहरा गया है। इन नियमों में पायलटों के साप्ताहिक आराम का समय बढ़ा दिया गया है और रात में लैंडिंग की संख्या कम की गई है ताकि फ्लाइट सेफ्टी बेहतर की जा सके। इसका सीधा असर फ्लीट उपलब्धता और शेड्यूलिंग पर पड़ा है।
हालात को देखते हुए साफ है कि इंडिगो की परेशानी जल्द खत्म नहीं होने वाली। जब तक स्टाफिंग नहीं सुधरती, नियमों में स्पष्टता नहीं आती और ड्यूटी टाइमिंग बेहतर नहीं होती, तब तक यात्रियों को रद्द उड़ानों, महंगे किरायों और लंबी देरी का सामना करना पड़ सकता है।




