ग्वालियर नगर निगम में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार का पर्दाफाश, EOW ने 4 अफसरों पर दर्ज की FIR

ग्वालियर नगर निगम में 2017–2021 के दौरान हुए बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। EOW ने अधिकारियों, कर्मचारियों और दीपक एडवरटाइजर्स के संचालक पर FIR दर्ज कर ली है।

Publish: Nov 07, 2025, 06:08 PM IST

ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर नगर निगम में 2017 से 2021 के दौरान हुए बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा करते हुए आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ने निगम के कई अधिकारियों, कर्मचारियों और दीपक एडवरटाइजर्स नाम की विज्ञापन एजेंसी के संचालक पर गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज कर ली है। आरोप है कि सभी ने मिलकर नगर निगम को करीब 54 लाख रुपये की आर्थिक क्षति पहुंचाई है।

EOW की प्रारंभिक जांच शिकायत मिलने के बाद शुरू हुई। जांच में सामने आया कि नगर निगम ग्वालियर के 48 सार्वजनिक शौचालयों पर विज्ञापन के टेंडर में भारी हेरफेर कर एजेंसी को अनुचित लाभ पहुंचाया गया। यह निविदा 10 नवंबर 2017 को जारी की गई थी और इसका टेंडर दीपक एडवरटाइजर्स को दिया गया था। निगम की ओर से अनुबंध तत्कालीन सीसीओ प्रदीप चतुर्वेदी और एजेंसी संचालक दीपक जेठवानी ने किया था।

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जांच में यह तथ्य सामने आया कि टेंडर की शर्तों को बदलकर कूटरचित तरीके से नई शर्तें जोड़ दी गईं। अनुबंध पत्र में यह उल्लेख किया गया कि टेंडर अवधि समाप्त होने के बाद 5% राशि बढ़ाकर नवीनीकरण किया जाएगा। जबकि, मेयर-इन-काउंसिल के संकल्प क्रमांक 582 में ऐसी किसी शर्त का उल्लेख ही नहीं था। इससे अनुमान लगाया गया कि दस्तावेजों में जानबूझकर बदलाव किया गया ताकि विज्ञापन एजेंसी को फायदा मिल सके।

EOW के अनुसार, नगर निगम ने विज्ञापन देय राशि निर्धारित करने के लिए कई समितियां गठित कीं थी। लेकिन इन समितियों ने नियमों को दरकिनार करते हुए केवल 38 शौचालयों और मूत्रालयों को आधार बनाकर भुगतान की गणना की। इससे विज्ञापन एजेंसी के पक्ष में निर्णय हुआ और निगम के राजस्व को सीधा नुकसान पहुंचा। जांच में पता चला कि 36 महीनों की अवधि में 48 सार्वजनिक शौचालयों के विज्ञापनों की वास्तविक देय राशि 72,57,600 रुपये होनी चाहिए थी। लेकिन अधिकारियों और कर्मचारियों ने मिलकर देय राशि को बेहद कम कर दिया। परिणामस्वरूप निगम को लगभग 54,00,658 रुपये की आर्थिक हानि हुई।

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EOW ने कहा कि पहली नजर में यह आपराधिक और भ्रष्टाचार से संबंधित पाया गया। चूंकि सीसीओ प्रदीप चतुर्वेदी का निधन हो चुका है इसलिए शेष आरोपियों, सहायक नोडल अधिकारी शशिकांत शुक्ला, सहायक लिपिक मदन पालिया, आउटसोर्स कर्मचारी धर्मेंद्र शर्मा, अपर आयुक्त राजेश श्रीवास्तव, अपर आयुक्त वित्त देवेंद्र पालिया, अधीक्षण यंत्री जेपी पारा, उपायुक्त विज्ञापन सुनील सिंह चौहान और दीपक एडवरटाइजर्स के संचालक दीपक जेठवानी सहित अन्य पर IPC की धाराएं 420, 409, 467, 468, 120-B तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धाराएं 7(A), 13(1)(क) सहपठित 13(2) के तहत एफआईआर दर्ज कर लिया गया है।