लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल होगी, मोदी कैबिनेट ने प्रस्ताव किया पास

देर से शादी होने से युवतियों, परिवारों, बच्चों और समाज के सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर पड़ेगा, पीएम ने भी 2020 में लाल किले से कहा था कि बेटियों को कुपोषण से बचाने के लिए जरूरी है कि उनकी शादी उचित समय पर हो।

Updated: Dec 16, 2021, 06:34 AM IST

Photo Courtesy: times of India
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दिल्ली। भारत में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 से बढ़ाकर 21 करने की तैयारी है। बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में एक बिल को मंज़ूरी दी गई है। केंद्रीय कैबिनेट ने लड़कों और लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र एक समान करने का फैसला लिया है। अब 21 साल की उम्र से पहले लड़कों और लड़कियों की शादी नहीं की जा सकेगी। इस कानून के लागू होते ही सभी धर्मों और वर्गों में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र बदल जाएगी। साल 2020 के स्वतंत्रता दिवस के संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया था देश की बेटियों को कुपोषण से बचाने के लिए जरूरी है कि उनकी शादी उचित समय पर हो।

लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र पर विचार के लिए एक टास्क फोर्स गठित की गई थी। जिसकी रिपोर्ट पिछले साल दिसंबर में नीति आयोग को सौंपी गई थी। इसमें लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाकर 21 साल करने का रोल आउट प्लान सौंपा गया था। इसे पूरे देश के सभी धर्मों, वर्गों पर लागू करने की सिफारिश की गई थी। जिसमें कहा गया था कि शादी में देरी का परिवारों, महिलाओं, बच्चों और समाज के आर्थिक, सामाजिक और स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस बारे में टास्क फोर्स की अध्यक्षा जया जेटली का कहना है कि लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने का मुख्य लक्ष्य महिला सशक्तिकरण है। यह सिफारिश युवा महिलाओं से विचार-विमर्श करके की गई है। टास्क फोर्स ने 16 यूनिवर्सिटीज और 15NGO माध्यम से युवाओं और ग्रामीण इलाकों के लोगों के विचार जाने थे।

वर्तमान में देश में लड़कों की शादी की न्यूनतम उम्र 21 और लड़कियों की 18 साल है। नए नियम लागू करने के लिए सरकार बाल विवाह निषेध कानून, स्पेशल मैरिज एक्ट और हिंदू मैरिज एक्ट में संशोधन करेगी।

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जया जेटली की अध्यक्षता में बने टास्क फोर्स ने इसकी सिफारिश नीति आयोग में की थी। नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके पॉल भी इस टास्क फोर्स के सदस्य थे। साथ ही स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, महिला तथा बाल विकास, उच्च शिक्षा, स्कूल शिक्षा तथा साक्षरता मिशन और न्याय तथा कानून मंत्रालय के विधेयक विभाग के सचिव टास्क फोर्स में शामिल थे। टास्क  फोर्स ने हर पहलू के गहन अध्ययन  के बाद अपनी सिफारिशें सौंपी थीं। टास्क फोर्स ने कहा था कि पहले बच्चे के जन्म  के समय महिला की उम्र 21 साल से कम नहीं होनी चाहिए। सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में 18 से 21 साल के बीच विवाह योग्य युवतियों की संख्या करीब 16 करोड़ है। लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र में आखिरी बार बदलाव सन 1978 में किया गया था। जिसके लिए शारदा एक्ट 1929 में बदलाव कर 15 से 18 साल की उम्र की गई थी।