MP: डिजिटल अरेस्ट के नाम पर प्रतिदिन बढ़ रही ठगी, लोगों को धमका कर मांगे जा रहे पैसे

'डिजिटल अरेस्ट' के नाम पर ठगी की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हो रही है।

Updated: Jan 03, 2025, 12:55 PM IST

भोपाल| इन दिनों 'डिजिटल अरेस्ट' के नाम पर ठगी की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हो रही है। ठग विभिन्न तरीकों से लोगों को धमकाते हैं और उनसे पैसों की मांग करते हैं। हाल ही में, कर्मचारी नेता रमेश राठौर के साथ भी ऐसी एक घटना घटी। उन्हें एक कॉल आई जिसमें ठगों ने कहा कि उनके बेटे ने रेप किया है और उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। ठगों ने चार लाख रुपए की मांग की और कहा कि पैसे न देने पर उनका बेटा 25 साल के लिए जेल चला जाएगा। फोन पर एक आवाज उनके बेटे की थी, जिसमें वह मदद की गुहार कर रहा था। लेकिन रमेश सतर्क थे और उन्हें यह एहसास था कि "डिजिटल अरेस्ट" जैसी कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं होती। उन्होंने ठगों से सवाल पूछने शुरू किए, जिससे ठगों को शक हुआ और उन्होंने कॉल काट दी।

इसी तरह का एक और मामला जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी में काम करने वाले हिमांशु भावसार के साथ हुआ। उन्हें भी एक कॉल आई जिसमें ठगों ने दावा किया कि उनके नाम से दिल्ली में पचास से अधिक सिम कार्ड खरीदी गई हैं, जिनका इस्तेमाल लड़कियों के साथ गंदे मजाक और गलत संदेश भेजने के लिए किया जा रहा था। ठग ने हिमांशु से सिम को बंद करने और एफआईआर दर्ज करवाने की मांग की। इसके बाद, एक व्यक्ति जो पुलिस की वर्दी में था, ने हिमांशु से वीडियो कॉल पर बयान देने को कहा। हिमांशु ने कॉल को रिकॉर्ड किया, और जब उन्होंने और सवाल किए तो ठग गालियां देते हुए कॉल काटकर भाग गए।

'डिजिटल अरेस्ट' एक प्रकार की साइबर ठगी है, जो लोगों को डराकर उनसे पैसे वसूलने का तरीका है। इस शब्द का कानूनी आधार नहीं है और यह एक घोटाला है। ठग खुद को कानून प्रवर्तन एजेंसी का अधिकारी बताकर पीड़ितों को यह विश्वास दिलाते हैं कि वे किसी अपराध में फंसे हुए हैं और तुरंत पैसे देने की धमकी देते हैं, ताकि उन्हें गिरफ्तार न किया जाए। यह ठगी का एक नया और खतरनाक तरीका है, जिसमें धोखेबाज मानसिक दबाव डालकर लोगों को शिकार बनाते हैं।

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ऐसी ठगी से बचने के लिए सतर्क रहना आवश्यक है। अगर किसी अनजान नंबर से कॉल या मैसेज आए, तो डराने-धमकाने वाले शब्दों से बचें और पैसे देने से पहले पूरी जानकारी की जांच करें। पुलिस अधिकारियों से जुड़ी कोई भी संदेहास्पद कॉल या संदेश प्राप्त होने पर तुरंत राष्ट्रीय साइबर अपराध हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत दर्ज करें।