सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सरकार नहीं सुलझा पा रही किसानों का मसला, समिति बनाने का दिया प्रस्ताव

सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि सरकार किसानों के मसले को सुलझा नहीं पाएगी तो जल्द ही यह राष्ट्रीय मुद्दा बन जाएगा, अदालत ने केंद्र और पंजाब, हरियाणा की सरकारों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है

Updated: Dec 16, 2020, 08:33 PM IST

Photo Courtesy : Bar And Bench
Photo Courtesy : Bar And Bench

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उसे नहीं लगता केंद्र सरकार की तरफ से हो रही बातचीत से किसानों का मसला सुलझने वाला है। कोर्ट का मानना है कि केंद्र सरकार की बातचीत जल्द ही नाकाम हो सकती है, जिसके बाद यह राष्ट्रीय मसला बन जाएगा। इसी के मद्देनज़र सुप्रीम कोर्ट ने किसानों की मांगों पर विचार के लिए एक ऐसी समिति बनाने का सुझाव दिया है, जिसमें सरकार के साथ-साथ किसानों के प्रतिनिधि भी शामिल हों। 

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को किसान आंदोलन से जुड़ी तीन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह सुझाव दिए। सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में केंद्र सरकार के साथ साथ पंजाब और हरियाणा सरकार को नोटिस भेजकर जवाब तलब किया है। कल फिर इस मामले की सुनवाई होगी। कोर्ट ने कहा है कि हम कल आंदोलनकारियों को सुनेंगे।  

जल्द ही सरकार की बातचीत फेल हो जाएगी : सीजेआई 
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं की सुनवाई चीफ जस्टिस बोबडे, स्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम की बेंच कर रही है। आज सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने किसान आंदोलन को लेकर कहा कि सरकार और किसानों के बीच बातचीत से हल फिलहाल निकलता नहीं दिख रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार की बातचीत जल्द ही फेल होने के आसार हैं, जिससे यह जल्द ही राष्ट्रीय मुद्दा बन जाएगा। समिति बनाकर बातचीत से मसला सुलझाएंगे। 

किसानों को दिल्ली आने से सरकार ने रोका : सीजेआई
एनडीटीवी के मुताबिक CJI ने याचिकाओं पर विचार करने के बाद कहा कि याचिका में केवल एक आधार लगता है कि मुद्दा 'फ्री मूवमेंट' का है, जिससे लोग प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि 'हमारे समक्ष वो लोग नहीं हैं आपको छोड़ कर, जिन्होंने रास्ता रोका है।' इसपर मेहता ने कहा कि रास्ता 'हमने नहीं रोका।' इसपर CJI ने कहा कि 'रास्ता तो आपने रोका, किसानों को दिल्ली आने से रोका गया?' CJI ने पूछा कि 'कौन कौन से किसान संगठन हैं?' इस पर मेहता ने जवाब दिया कि 'सरकार बातचीत कर रही है।'

किसान कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं : सॉलिसिटर जेनरल 
तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस को बताया कि सरकार किसानों से बातचीत कर रही है लेकिन किसान कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं। मेहता ने कहा कि वो हां या नहीं में सरकार से उत्तर चाहते हैं। अगर किसान क्लॉज़ टू क्लॉज़ बहस करें तो हो पाएगा।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन के संबंध में कुल तीन याचिकाएं, तीन अलग अलग मांगों के साथ दायर की गई हैं। पहली याचिका दिल्ली के ऋषभ शर्मा की ओर से दायर की गई है। जिसमें कहा गया है कि आंदोलन कर रहे किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाल रखा है। जिससे आवाजाही में परेशानी का  सामना करना पड़ रहा है। इस याचिका में कोर्ट से बॉर्डर खुलवाने का आदेश जारी करने की मांग की गई है। 

वहीं एक अन्य याचिका में कहा गया है कि सरकार ने किसानों की मांगों पर चुप्पी साध रखी है। लिहाज़ा सुप्रीम कोर्ट केंद्र को यह आदेश दे कि सरकार जल्द से जल्द किसानों की मांगों पर विचार करे।  इसी याचिका में आंदोलन के दौरान पुलिस बल के हमले का शिकार हुए किसानों को उचित मुआवज़ा देने की मांग भी की गई है। इसके साथ ही तीसरी याचिका इस बात को लेकर दायर की गई है कि किसानों को दिल्ली में आंदोलन करने की अनुमति दी जाए।