देश के 8 हजार स्कूलों में एक भी छात्र नहीं, लेकिन तैनात हैं 20 हजार शिक्षक: शिक्षा मंत्रालय

देश भर में 33 लाख से अधिक छात्र एक लाख से अधिक एकल-शिक्षक विद्यालयों में पंजीकृत हैं, आंध्र प्रदेश में इन विद्यालयों की सबसे अधिक संख्या दर्ज की गई है।

Updated: Oct 27, 2025, 04:39 PM IST

नई दिल्ली। देशभर में करीब 8,000 विद्यालयों में 2024-25 शैक्षणिक सत्र के दौरान कोई दाखिला नहीं हुआ है। यानी इन आठ हजार स्कूलों में एक भी छात्र अध्ययनरत नहीं है। इससे भी बड़ी चौंकाने वाली बात ये है कि इन स्कूलों में 20 हजार से अधिक शिक्षक तैनात हैं।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार, 7,993 स्कूल में कोई दाखिला नहीं हुआ जो पिछले वर्ष की 12,954 की संख्या से 5,000 से अधिक कम है। शून्य दाखिले वाले स्कूल में कुल 20,817 शिक्षक कार्यरत हैं। पश्चिम बंगाल में ऐसे शिक्षकों की संख्या 17,965 हैं और बिना दाखिले वाले स्कूल की संख्या सबसे अधिक 3,812 है।

हरियाणा, महाराष्ट्र, गोवा, असम, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, नगालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा में ऐसा कोई स्कूल नहीं है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक स्कूली शिक्षा राज्य का विषय है, राज्यों को विद्यालयों में शून्य दाखिले के मुद्दे का समाधान करने की सलाह दी गई है। कुछ राज्यों ने बुनियादी ढांचे और कर्मचारियों जैसे संसाधनों के इष्टतम उपयोग के लिए कुछ विद्यालयों का विलय कर दिया है।

शून्य दाखिला वाले विद्यालयों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या तेलंगाना (2,245) में है। उसके बाद मध्य प्रदेश (463) का स्थान है। तेलंगाना में इन विद्यालयों में 1,016 शिक्षक कार्यरत थे, जबकि मध्य प्रदेश में 223 शिक्षक कार्यरत थे। उत्तर प्रदेश में ऐसे 81 स्कूल हैं। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) ने घोषणा की थी कि वह राज्य भर में अपने ऐसे संबद्ध विद्यालयों की मान्यता रद्द करने की तैयारी कर रहा है, जिन्होंने पिछले तीन लगातार शैक्षणिक वर्षों से शून्य छात्र पंजीकृत दर्ज किया है।

देश भर में 33 लाख से अधिक छात्र एक लाख से अधिक एकल-शिक्षक विद्यालयों में पंजीकृत हैं। यानी इन विद्यालयों में सिर्फ एक ही शिक्षक तैनात हैं। आंध्र प्रदेश में इन विद्यालयों की सबसे अधिक संख्या दर्ज की गई है। इसके बाद उत्तर प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र, कर्नाटक और लक्षद्वीप का स्थान है।

हैरानी की बात ये है कि शून्य दाखिले वाले स्कूलों में औसतन ढ़ाई शिक्षक हैं जो बैठे-बैठे वेतन पा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर देश के एक लाख से अधिक स्कूल ऐसे है जो एक शिक्षक के भरोसे चल रहे है, जिसमें पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 33 लाख से अधिक है। शिक्षा मंत्रालय ने स्कूली शिक्षा को लेकर यह विरोधाभासी तस्वीर तब पेश की है, जब वह सभी राज्यों में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति( एनईपी) के अमल में तेजी से जुटी है।