हम दोषसिद्धि पर स्थगन लेंगे जो अयोग्यता के आधार को ही समाप्त कर देगा, सिंघवी ने बताई आगे की रणनीति

राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द किए जाने पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि देश में लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है, यह अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है।

Updated: Mar 24, 2023, 06:33 PM IST

नई दिल्ली। राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द किए जाने के आदेश को कांग्रेस ने उन्हें चुप कराने की साजिश करार दिया है। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी और जयराम रमेश ने इस मामले में प्रेस कांफ्रेस कर तीखी प्रतिक्रिया दी है। दोनों नेताओं ने कहा कि पूरा देश जानता है कि राहुल गांधी को सच बोलने और जनता के मुद्दे संसद के अंदर और बाहर जोरदार तरीके से उठाने की सजा मिली है।

कांग्रेस सांसद और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने आगे की रणनीति बताते हुए कहा, 'हमें विश्वास है कि दोषसिद्धि पर स्थगन ले लेंगे जो इस अयोग्यता के आधार को ही समाप्त कर देगा। हमें कानून पर पूरा भरोसा है। हमें विश्वास है कि हम निकट भविष्य में विजयी होंगे।' उन्होंने केंद्र पर हमला बोलते हुए कहा कि जब आप जल्दबाजी करते हैं तो गलतियों के ऊपर गलतियां करते हैं संवैधानिक और कानूनी गलतियां करते हैं।'

सिंघवी ने केस डिटेल्स देते हुए कहा कि, "ये वारदात साल 2019 में कोलार कर्नाटक में हुई। उसकी शिकायत सूरत गुजरात में की गई। जब ऐसा होता है की फौजदारी वारदात कहीं और हुई हो और शिकायत किसी दूसरे प्रदेश में हो तो कानून एक प्रावधान है उसका निरीक्षण करना पड़ेगा। स्पष्ट नियम है कि या तो मजिस्ट्रेट खुद निरीक्षण करे या पुलिस द्वारा करे की क्या उस मजिस्ट्रेट का अधिकार क्षेत्र बनता है या नहीं? जबतक वो मजिस्ट्रेट शुरुआत में ये निरीक्षण नहीं करता तबतक वो शिकायत से आगे नहीं बढ़ सकता। रोचक बात ये है कि इस मामले में निरीक्षण नहीं किया गया।"

सिंघवी ने आगे कहा, "एक विचित्र बात हुई की जो इस मामले में शिकायतकर्ता है वो अप्रैल 2019 में शिकायत दर्ज करता है। 2021 जून में राहुल गांधी उस मजिस्ट्रेट के सामने पेश होते हैं। लेकिन
एक साल रुकने के बाद वह वापस अर्जी देता है कि राहुल गांधी कोर्ट में पेश हों। बार बार ऐसा पेशी की मांग के कारण मार्च 2022 में उसकी याचिका मजिस्ट्रेट कोर्ट खारिज कर देता है। इसके बाद शिकायतकर्ता हाईकोर्ट जाता है और खुद अपनी शिकायत का स्टे लेता है। 11 महीने बाद वह अचानक जाकर इस साल फरवरी में हाईकोर्ट को कहता है कि अब मैं अपने खुद का स्टे वापस लेना चाहता हूं। तबतक मजिस्ट्रेट बदल गए और नए मजिस्ट्रेट ने ये फैसला दिया।"

सिंघवी ने आरोप लगाते हुए कहा कि, " यह लोकतंत्र का गला घोंटने का ही प्रतीक है। देश में 2014 के बाद से अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला किया जा रहा है। सरकारी संस्थाओं का दमन किया जा रहा है। राहुल गांधी निडर होकर बयान देते हैं। राहुल को सच बोलने की सजा मिली है। देश में सरकारी संस्थाओं का दमन किया जा रहा है और लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है। राहुल गांधी जनता से जुड़े हर मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय रखी है। उन्होंने समाजिक, आर्थिक, राजनीतिक मुद्दों पर खुलकर बोला है। वो इसी का परिणाम भुगत रहे हैं।"

इस दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि, "बीजेपी भारत जोड़ो यात्रा से डरी हुई है, घबराई हुई है। क्योंकि वो जानती है, उसे फीड बैक मिला होगा। भारत जोड़ो यात्रा ने केवल संगठन में नहीं, बल्कि सारे देश को एक नई उर्जा दी है और एक रास्ता दिखाया है। कई महीनों से भारत जोड़ो यात्रा को बदनाम करने की कोशिश की गई। आज भारत जोड़ो यात्रा की सफलता की कीमत राहुल गांधी को चुकानी पड़ी है।"

कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि, "ये राजनीतिक लड़ाई बरकरार रहेगी। हम पीछे नहीं हटेंगे। राहुल गांधी कोई धमकी से डरने वाले नहीं हैं...प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डरे हुए हैं इसलिए वो बार-बार राहुल गांधी और अन्य विपक्ष के नेताओं को डराते रहते हैं और धमकियां देते रहते हैं। ये सरकार इस तरह के फैसले से आवाज उठाने वालों को डराना और दबाना चाहती है, लेकिन ऐसा नहीं होगा। राहुल गांधी और पूरी कांग्रेस पार्टी लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई जारी रखेगी।"