जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
भगवान शंकर ही श्री हनुमान जी महाराज के रूप में सेवक धर्म की महिमा को प्रकट करने के लिए प्रादुर्भूत हुए हैं

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम्
आज हनुमज्जयंती है,और इसके साथ ही एक अतिशय सुन्दर सुयोग है कि आज मंगलवार भी है। क्योंकि श्री हनुमान जी महाराज का अवतार चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को हुआ। वायुपुराण के अनुसार कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी भी श्री हनुमज्जयंती के रूप में मनाई जाती है।
कार्तिकस्यातSसितेपक्षे चतुर्दशीं भौमवासरे।
मेषलग्नेSन्जनागर्भात्, स्वयं जात:हर:शिव:।।
कल्पभेद से दोनों ही हम सभी के लिए मान्य है। स्वयं भगवान शंकर ही श्री हनुमान जी महाराज के रूप में सेवक धर्म की महिमा को प्रकट करने के लिए प्रादुर्भूत हुए हैं। श्री हनुमान जी महाराज के गुणगणों का गान करना मुझ जैसे अल्पज्ञ के लिए अत्यंत कठिन है क्योंकि सागर में गोता लगाने के लिए कुशल गोताखोर की आवश्यकता होती है। श्री आंजनेय का परम पावन चरित्र सागर के समान है।
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
उनका सौंदर्य, माधुर्य, औदार्य, भक्त वत्सलता,पराक्रम और श्री राघव के प्रति अनन्य प्रेम जैसे अनेक गुण ऐसे हैं जिनमें एक एक की चर्चा करें तो- लघु मति मोर चरित अवगाहा के अनुसार कठिन है। अतः आज इस अवसर पर मैं परम कारुणिक, भक्त वत्सल, श्री किशोरी जी के बबुआ, श्री राघव के दुलरुआ श्री हनुमान जी महाराज के पावन जन्मोत्सव पर उनके श्री चरणों में अनंत अनंत प्रणाम निवेदन करती हूं। और आप सभी भक्तों को श्री हनुमज्जयंती की बहुत बहुत बधाइयां।
मइया अंजना तोहार बजरंगी
बड़ा जोरदार रामरंगी