CG Self-help group : बांस और गोबर की राखी से बनाएं मजबूत रिश्ते

धमतरी में महिलाएं बांस, गोबर, बीजों से तैयार कर रही हैं राखियां, स्व-सहायता समूह की महिलाएं हो रही आत्मनिर्भर

Publish: Jul 12, 2020, 07:11 AM IST

धमतरी। यूं तो भाई-बहन के प्रेम और विश्वास का त्यौहार रक्षाबंधन आने में अभी कुछ दिन का इंतजार है। लेकिन इसकी तैयारियां अभी से शुरु हो गई है। ये राखियां बीजों,बांस और गोबर से तैयार की जा रही है। इन सुंदर और आकर्षक राखियों को धमतरी जिले के स्व-सहायता समूहों की महिलाएं तैयार कर रहीं हैं।  

ये सुंदर राखियां आद्य बंधन नाम से तैयार की जा रहीं हैं। इनमें बच्चों के लिए राखियां, बांस की राखियां, गोबर की राखियां और भाई-भाभी के लिए कुमकुम-अक्षत बंधन राखी भी उपलब्ध हैं। जिन्हे बाजार में 20 रूपए से 200 रूपए तक की कीमत में बेचा जाएगा।

धमतरी की जिला पंचायत CEO नम्रता गांधी का कहना है कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के ‘बिहान‘ योजना अंतर्गत जिले के छाती गांव में मल्टी युटिलिटी सेंटर में महिलाओं को राखी बनाना सिखाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।

ट्रेनिंग के बाद छाती गांव के साथ ही ‘नगरी’ विकासखण्ड के छिपली, कुरूद के नारी गांव के  20 समूहों की 165 महिलाएं राखी तैयार करने में जुट गई हैं। इन समूहों को अब तक 1200 नग राखियों के लिए ऑर्डर मिल चुका है।चूंकि इस तरह की राखियों का कॉसेप्ट नया है इसलिए लोगों का रिस्पॉन्स भी अच्छा है

बच्चों के लिए बनाई गई राखियों को क्रोशिया के एम्ब्रायडरी धागों से तैयार किया जा रहा है, जिसे ओज राखी का नाम दिया गया है। वहीं बांस के बीज से भी राखियां तैयार की जा रही हैं। इसमें मुलायम इरेजर, शार्पनर, की-चेन, छोटा भीम, गणेशा, सेंटाक्लॉज जैसे डिजाइंस शामिल हैं। बांस के बीज से राखियां बनाई जा रही हैं। ननद-भाभी की भी राखियां बन रहीं हैं।  कुमकुम-अक्षत और बांस को मिलाकर इन राखियों को तैयार किया जा रहा है। जिला प्रशासन इन राखियों की मार्केटिंग में भी मदद करेगा जिससे महिलाओं आत्मनिर्भर हो सकें।