जी भाईसाहब जी: गाय, गीता, वृंदावन का बजट, राम के लिए 30, कृष्ण के हिस्से आए 10 करोड़
MP Budget 2025: मध्यप्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने मोहन सरकार के पहले पूर्ण बजट को ‘मन मोहन’ बनाने का पूरा प्रयास किया है। महिलाओं, युवाओं, किसानों और गरीबों को बजट से बहुत आस थी। मोहन सरकार ने राहतें सीधे-सीधे नहीं दी है, नई राहें खोजी हैं। साफ है, खुश होने के मौके भी खोजने पड़ेंगे।

ज्ञान के बजट में ढूंढते रहिए खुशियों मौके
वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा ने बुधवार को विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 4 लाख 21 हजार 32 करोड़ रुपए के बजट को पेश करते हुए कहा कि इस बार भी कोई नया टैक्स नहीं लगाया गया। इसका अर्थ है कि टैक्स नहीं लगने से जनता को खुश हो जाना चाहिए। यूं भी टैक्स का बड़ा हिस्सा तो हम जीएसटी के रूप में देते हैं इसलिए राज्य सरकार टैक्स नहीं लगा रही है तो इससे न सरकार की सेहत पर फर्क पड़ रहा है और न ही जनता को राहत मिल रही है।
वित्त मंत्री देवड़ा ने कहा कि इस बजट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सूत्र ‘GYAN’ पर केंद्रित किया है। GYAN यानी G से गरीब, Y से युवा, A से अन्नदाता, N से नारीशक्ति। उम्मीद थी कि गरीबी कम करने, युवाओं को रोज़गार देने, किसानों की आय बढ़ाने और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए ठोस उपाय होंगे लेकिन फिलहाल वादे दिखाई दे रहे हैं। इन वादों में ही खुशी खोजनी पड़ेगी।
वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने अपने भाषण में काव्य पंक्तियां पढ़ते हुए कहा, 'यही जुनून, यही एक ख्वाब मेरा है, वहां चिराग जला दूं जहां अंधेरा है। जनता व जनप्रतिनिधियों की बेशुमार फरमाइशें हैं, कर सके हम सब पूरी, ये हमारी कोशिशे हैं।' इन फरमाइशों में कृषि को राहतें, रोजगार और लाड़ली बहना को मिलने वाली राशि को बढ़ा कर तीन हजार करने जैसी उम्मीदें शामिल हैं। मोहन सरकार ने अपने बजट में लाडली बहनों को मिलने वाली राशि को बढ़ाने की तो कोई तैयार प्रस्तुत नहीं की लेकिन लाडली बहना योजना के हितग्राहियों को केंद्र सरकार की तीन योजनाओं प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री जीवन सुरक्षा योजना और अटल पेंशन योजना से जोड़ने की की है। इस योजना में शामिल होने से महिलाओं को तीनों का लाभ मिलेगा और इस तरह सीधे तौर पर राशि नहीं मिलेगी लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से लाड़ली बहनों को फायदा मिलेगा।
सरकार ने गीता और गाय के सहारे गांव-शहर को कृष्णमय बनाने की कोशिश की हे। मोहन सरकार ने धर्म के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दर्शाते हुए उज्जैन के महाकाल लोक की तरह दूसरे ज्योर्तिलिंग ओंकारेश्वर में ओंकारेश्वर लोक के निर्माण की घोषणा की। भगवान कृष्ण के स्थानों पर कृष्ण पाथेय योजना के तहत 10 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रावधान किया गया। नगरीय निकायों में गीता भवन बनाने की मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की घोषणा को अमलीजामा पहनाने के लिए 100 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। गीता भवन में पुस्तकालय और सभागार भी बनाए जाएंगे।
श्रीराम वन गमन पथ सहित चित्रकूट में अन्य विकास कार्यों के लिए 30 करोड़ का प्रावधान किया गया है। प्रदेश की गोशालाओं में गायों के आहार के लिए अब तक रोज प्रति गाय 20 रुपये दिए जाते थे। लेकिन, बजट घोषणा में इसे बढ़ाकर 40 रुपए कर दिया गया है। पशुधन से गांवों के विकास के लिए ‘मुख्यमंत्री वृंदावन गांव’ योजना लागू की गई है। गरीबों के लिए वर्तमान में जारी योजनाओं में ही प्रावधान किए गए है। घोषणा की गई है कि मुख्यमंत्री समृद्ध परिवार योजना आरंभ कर वंचितों को एक-दो नहीं बल्कि उनकी पात्रता के अनुसार योजनाओं का पैकेज दिलवाने का प्रयास होगा।
इसके अलावा तो जिला विकास सलाहकार समिति का गठन, सोशल इम्पैक्ट बॉन्ड जारी करने, राज्यस्तरीय बीमा समिति बनाने, वन विज्ञान केंद्र बनाने, सीएम मजरा-टोला सड़क योजना जैसी घोषणाएं ही हैं। सरकार ने निजीकरण की तरफ तेजी और मजबूती से कदम बढ़ा दिए हैं। तय किया गया है कि स्वास्थ्य और शिक्षा में जारी निजीकरण को अधिक सघन किया जाएगा। वित्तमंत्री ने घोषणा की है कि नई योजना ‘निजी निवेश से संपत्ति का निर्माण’ प्रारंभ की जाएगी तथा निजी क्षेत्र को शिक्षा, स्वास्थ्य और छात्रावास का संचालन पीपीपी मोड में दिया जाएगा। सरकारी स्कूलों की घटती संख्या और सरकारी अस्पतालों की खराब हालात उनके निजीकरण का रास्ता साफ कर रही है।
खाली जेब रह गए कर्मचारी, मायूसी में डूबे
इस बजट से कई तरह की उम्मीदें लगाए बैठे कर्मचारियों की जेब भी खाली ही है। कर्मचारी संगठन सातवें वेतनमान की विसंगतियां दूर नहीं करने और आठवां वेतनमान घोषित नहीं करने, भत्तों पर कोरा आश्वासन मिलने से खफा हैं। तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के महामंत्री उमाशंकर तिवारी ने कहा कि कर्मचारियों को उम्मीद थी कि सरकार कर्मचारियों को जुलाई 2024 से 3 फीसदी महंगाई भत्ता और महंगाई राहत सहित अन्य लाभ प्रदान करेगी लेकिन निराशा हाथ लगी है।
बजट में कर्मचारियों को देय भत्ते 1 अप्रैल 2025 से सातवें वेतनमान के सुसंगत स्तरों पर पुनरीक्षण करने की बात कही गई है। कर्मचारी इसे अनुचित मान रहे हैं। संगठनों का कहना है कि कर्मचारियों को 12 सालों से गृह, भाड़ा, वाहन, यात्रा, वर्दी जोखिम भत्ता, आदिवासी भत्ते विकलांग भत्ता पुरानी दर पर ही मिल रहा है। सरकार ने 1 अप्रैल 2025 से भत्तों के पुनरीक्षण की बात कह रही है इससे कर्मचारियों को काफी आर्थिक नुकसान होगा। कर्मचारी नेता अशोक पांडेय ने बजट को कर्मचारी विरोधी बताते हुए कहा कि हम बरसों से आंदोलन कर रहे हैं और यह विरोध अब और तेज होगा।
विपक्ष के विरोध का जवाब में टेबल पीटता सत्ता पक्ष
मंगलवार देर रात हुई बीजेपी विधायक दल की बैठक का असर बजट प्रस्तुत करने के दिन सदन में दिखाई दिया। मंगलवार देर रात हुई बीजेपी विधायक दल की बैठक में विपक्ष को जवाब देना तय हुआ था। इस रणनीति के तहत जब-जब कांग्रेस विधायक खड़े हो कर वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा के बजट भाषण पर टीका-टिप्पणियां कर रहे थे या सवाल कर रहे थे तब सत्ता पक्ष के विधायक जोर-जोर से टेबल पीट रहे थे। सत्ता पक्ष के विधायकों के टेबल पिटने के शोर में विपक्ष के विधायकों की आवाज दब कर रह गई।
इस बार विधानसभा का बजट सत्र संसदीय इतिहास का सबसे छोटा बजट सत्र है। बजट सत्र में मात्र नौ दिन काम होना है। प्रतिपक्ष कांग्रेस लगातार सत्र की अवधि बढ़ाने की मांग कर रही है। यही कारण है कि संभवत: पहली बार बजट प्रस्तुत करने के बाद विधानसभा की कार्यवाही अगले दिन तक स्थगित नहीं की गई। बल्कि दो घंटे विराम के बाद सदन को आहूत किया गया और राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा आरंभ की गई।
पहले से ही छोटे सत्र की कार्यवाही विवाद की भेंट न चढ़ जाए इसलिए विपक्ष फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है। सरकार की नीतियों, भ्रष्टाचार सहित अन्य मुद्दों पर कांग्रेस सदन में रोज ही अनोखे तरीकों से प्रदर्शन कर रही है लेकिन इस हंगामे में भी विपक्ष की कोशिश है कि उसका विरोध इस स्तर तक न हो कि सत्ता पक्ष को सत्र समाप्ति का मौका मिल जाए। बजट प्रस्तुति के दौरान भी विपक्ष के विधायकों ने टोंका तथा टिप्पणियां की। गलत आंकड़ें देने का आरोप लगाते हुए एक बार वॉकआउट भी किया लेकिन हंगामे को नियंत्रित ही रखा।
मंत्री प्रह्लाद पटेल ने बैठे ठाले विरोधियों को दे दिया मौका
सबकुछ अच्छा चल रहा था लेकिन तोलमोल के बोलने वाले पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल अपने ही एक बयान के कारण विवाद में उलझ गए। उनके कहे ने न केवल विपक्ष कांग्रेस और बसपा बल्कि खुद बीजेपी के विरोधियों को भी पटेल के खिलाफ मोर्चा खोलने का मौका दे दिया।
सुठालिया नगर परिषद द्वारा आयोजित वीरांगना रानी अवंती बाई की मूर्ति के अनावरण कार्यक्रम में पंचायती राज और ग्रामीण विकास मंत्री प्रह्लाद पटेल ने कह दिया कि लोगों को भीख मांगने की आदत हो गई है। उनके इस कहे पर कांग्रेस ने तीखा हमला किया और इसे बीजेपी का अहंकार बताया। विवाद हुआ तो जबलपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए मंत्री पटेल कहा कि उन्होंने भीख मांगने वाली बात उनके समाज के लोगों के बीच में कही और कार्यक्रम को निजी बताया। कांग्रेस फिर हमलावर हुई और साफ किया कि कार्यक्रम सरकारी था।
इस बयान के विरोध में पोस्टर भी लगाए गए तो कांग्रेस ने विधानसभा में भी विरोध जताया। बसपा प्रमुख मायावती ने इस बयान की आलोचना की। इसी दौरान पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रह्लाद पटेल ने सोशल मीडिया पर सफाई दी है। उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर लिखा है, ''मेरे मन में जनता सदैव जनार्दन रही है,चाहे उसने नकारा हो या स्वीकारा हो, यह मेरी निष्ठा का अतीत है, वह आज भी है लेकिन सुचिता की राजनीति भ्रष्ट और बेईमानों को कैसे रास आएगी? इसलिए मेरी बात को तूल दिया गया।''
अपनी इस पोस्ट को उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को भी टैग किया था लेकिन बाद में इसे हटा लिया। यह बताता है कि कुछ तो गड़बड़ है। लगभग पूरे मामले में मंत्री पटेल यही दिखाते रहे हैं कि वे समाज सुधार की बात कर रहे हैं लेकिन इस बयान के बाद उनके उद्देश्य को बीजेपी का ही साथ नहीं मिला। साथ देना तो दूर पार्टी ने इस बयान की जानकारी बुलवा ली।