लैंगिक समानता हासिल करने में लग जाएंगे 300 वर्ष, महिला दिवस से पहले UN चीफ की टिप्पणी

संयुक्त राष्ट्र चीफ एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र की महिला इकाई के मुताबिक अभी दुनिया लैंगिक समानता को हासिल करने से काफ़ी दूर है

Publish: Mar 07, 2023, 05:02 PM IST

नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस से पहले संयुक्त राष्ट्र की तरफ से बड़ा बयान सामने आया है। संयुक्त राष्ट्र संघ के अध्यक्ष एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि दुनिया इस समय लैंगिक समानता को हासिल करने से काफी दूर है। एंटोनियो गुटेरेस के मुताबिक पुरुष और औरत के बीच भेद की खाई को पाटने के लिए दुनिया को अभी सैकड़ों वर्षों का इंतज़ार करना पड़ सकता है।

एंटोनियो गुटेरेस ने यह टिप्पणी अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस से पहले विश्व में महिलाओं की मौजूदा हालत पर चर्चा करते हुए की। गुटेरेस ने संयुक्त राष्ट्र की महिला इकाई का हवाला देते हुए कहा कि विश्व में लैंगिक समानता को हासिल करने में 300 से अधिक वर्ष लग सकते हैं। गुटेरेस ने बताया कि यह महिला सशक्तिकरण और उनके अधिकारियों के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की महिला इकाई के ताज़ा अनुमान हैं।

गुटेरेस ने कहा कि महिलाओं की मृत्यु दर, बेहद कम उम्र में लड़कियों की जबरन शादी करवाना, स्कूल जाने से उन्हें वंचित करना इस बात के संकेत हैं कि हम लैंगिक समानता को हासिल करने के लक्ष्य से लगातार दूर होते जा रहे हैं।

गुटेरेस ने महिलाओं के खिलाफ हो रहे शोषण का भी ज़िक्र किया और उन देशों का भी नाम लिया जहां महिलाओं को उनके अधिकारों ने वंचित किया जा रहा है। गुटेरेस ने कहा कि अफगानिस्तान सहित कुछ देशों में महिलाओं को सार्वजनिक जीवन से पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया है। 

गुटेरेस ने कहा कि किसी भी तरह का संकट और संघर्ष सबसे पहले और सबसे अधिक महिलाओं को ही प्रभावित करता है। उन्होंने इसके लिए यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद यूक्रेन की महिलाओं और बच्चियों के साथ हुए यौन उत्पीड़न का हवाला दिया। गुटेरेस ने कहा कि शताब्दियों के पितृसत्ता और घातक रूढ़ीवादी सोच ने विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में भी जेंडर गैप को बढ़ाया है। 

गुटेरेस ने कहा कि लैंगिक समानता के लिए तत्काल और सामूहिक प्रयास की ज़रूरत है। इसके लिए शिक्षा को बढ़ावा देना, महिलाओं की आय और उनके रोजगार को सुनिश्चित करना बेहद ज़रूरी है। यूएन चीफ ने कहा कि दुनिया के दक्षिणी हिस्से में खास तौर पर विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में महिलाओं की भागेदारी को बढ़ावा देने की ज़रूरत है।