बढ़ती कीमतों के बीच 35 फीसदी अधिक अरहर का होगा आयात, मंगाई जाएगी 12 लाख टन एक्स्ट्रा दाल

आयात शुरू होने के बाद कम होने लगेगी तुअर दाल की कीमत, घरेलू उपलब्धता को बढ़ाने और मूल्य वृद्धि रोकने के लिए केंद्र सरकार का बड़ा फैसला।

Updated: Jul 02, 2023, 01:06 PM IST

नई दिल्ली। भारत में सबसे ज्यादा तुअर यानी अरहर दाल की खपत होती है। इस समय तुअर की दाल के रेट आसमान छू रहे हैं। दालों के बढ़ते भाव से आम आदमी काफी परेशान है। घरेलू आपूर्ति बढ़ाने और कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। केंद्र सरकार इस साल 35 फीसदी अधिक तुअर दाल आयात करेगी।

रिपोर्ट्स के मुताबिक घरेलू उपलब्धता को बढ़ाने और मूल्य वृद्धि रोकने के लिए सरकार 12 लाख टन अधिक तुअर दाल मंगाने जा रही है। उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि तूअर दार हमें परेशानी दे रही है। पिछले साल के स्तर की तुलना में तुअर की अखिल भारतीय औसत खुदरा कीमत 25 प्रतिशत बढ़कर 128.66 रुपये प्रति किलोग्राम है। लेकिन आयात शुरू होने के बाद यह कम होने लगेगी।

रोहित कुमार ने आगे कहा, 'भारत में लगभग 44-45 लाख टन की खपत करते हैं। हर साल हमें आयात करना पड़ता है। इस साल, जाहिर है, हमें अधिक आयात करना होगा। हम चालू वित्तवर्ष में 12 लाख टन का आयात करेंगे।' दरअसल, तूअर की उपलब्धता में असली समस्या, कम घरेलू उत्पादन का होना है। देश का तुअर उत्पादन फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) में इससे पिछले साल के 39 लाख टन के मुकाबले घटकर 30 लाख टन रह गया। 

रिपर्ट्स के मुताबिक अब तक देश में छह लाख टन तुअर का आयात हो चुका है। यह आयात म्यांमार और पूर्वी अफ्रीकी देशों से किया जाता है। पूर्वी अफ्रीकी देशों में फसल अगस्त में आनी शुरू हो जाएगी, इसलिए घरेलू कीमतें कम हो जाएंगी। बता दें कि वित्तवर्ष 2022-23 के दौरान देश ने 8.9 लाख टन तुअर दाल का आयात किया।

तुअर की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने कई उपाय किये हैं। सरकार अपने बफर स्टॉक से पात्र मिल मालिकों को तुअर दाल बेचने की तैयारी कर रही है। खाद्य मंत्रालय के अनुसार जब तक इम्पोर्टेड अरहर की दाल खुले मार्केट में नहीं आती है, तब तक सरकार इसे जारी रखेगी। सरकार की कोशिश है कि दाल की सप्लाई में कमी ना होने दी जाए।