चॉकलेट प्रेमी हैं तो आपके लिए चिंता की बात, जेब को लग सकता है झटका, यहां जानिए वजह

जलवायु परिवर्तन का ही असर है कि कई जगहों में अभी भी मौसम सर्द ही है। इससे कोको की फसल भी बुरी तरह से प्रभावित हुई है। तभी तो इस समय चॉकलेट बनाने का रॉ मैटेरियल कोको महत्वपूर्ण इंडस्ट्रियल मेटर तांबा से भी महंगा है। मतलब कि अब आपको चॉकलेट बार या चॉकलेट कुकीज के लिए जेब ज्यादा ढीली करनी होगी।

Updated: Apr 09, 2024, 09:36 AM IST

जलवायु परिवर्तन का इन दिनों खूब शोर है। तभी तो अप्रैल महीने में भी कहीं-कहीं गरज के साथ छींटे पड़ रहे हैं। देश के कई राज्यों में मौसम विभाग द्वारा बारिश की अंदेशा लगाया गया है। यह जलवायु परिवर्तन का ही असर है कि कई जगहों में अभी भी मौसम सर्द ही है। इससे कोको की फसल भी बुरी तरह से प्रभावित हुई है। तभी तो इस समय चॉकलेट बनाने का रॉ मैटेरियल कोको महत्वपूर्ण इंडस्ट्रियल मेटर तांबा से भी महंगा है। कल ही लंदन बाजार में कोको फ्यूचर (जुलाई डिलीवरी) का भाव 8009 पाउंड प्रति टन तक चला गया। मतलब कि अब आपको चॉकलेट बार या चॉकलेट कुकीज के लिए जेब ज्यादा ढीली करनी होगी।

रायटर ने लंदन के कुछ डीलरों के हवाले से बताया है कि इस समय ग्लोबल मार्केट में कोको की सप्लाई घटी है। कोको सप्लाई करने वाले दो प्रमुख देशों, आइवरी कोस्ट और घाना में साल 2023-24 के दौरान प्रोडक्शन घटा है। इससे सप्लाई चेन बिगड़ा है।

तभी तो न्यूयार्क एक्सचेंज में भी कोको फ्यूचर (जुलाई डिलीवरी) का भाव कल करीब चार फीसदी चढ़ कर 9,553 डॉलर प्रति टन पर चला गया था। कल ही लंदन बाजार में कोको फ्यूचर (जुलाई डिलीवरी) का भाव 8,009 पाउंड प्रति टन तक चला गया था। लंदन मेटल एक्सचेंज में ही इस समय कॉपर की कीमत 8300 डॉलर प्रति टन चल रही है।

बता दें सिर्फ चॉकलेट ही नहीं कॉफी भी महंगी हो रही है। न्यूयार्क एक्सचेंज में कल रोबस्टा कॉफी (मई डिलीवरी) का भाव 1.5 फीसदी चढ़ कर 3468 डॉलर प्रति टन पर चला गया। यह अभी तक का उच्चतम कॉट्रेक्ट रेट है। डीलर बताते हैं कि दुनिया में रोबस्टा कॉफी के सबसे बड़े उत्पादक वियतनाम में प्रोडक्शन कम होने से सप्लाई घटी है। इसी के साथ ब्राजील में भी अभी कॉफी का कम स्टॉक बचा है। वहां अप्रैल में इस फसल का हार्वेस्ट सीजन आता है। राहत की बात यह है कि ब्राजील में कॉफी की फस्ल के लिए इस समय फेवरेबल मौसम है। इसलिए बेहतर फसल की संभावना व्यक्त की जा रही है।