अमेरिका के वॉशिंगटन में महात्मा गांधी की प्रतिमा को नुक़सान पहुंचाया गया

भारतीय दूतावास ने किसानों के समर्थन में हुए प्रदर्शन में शामिल खालिस्तानी तत्वों को दोषी ठहराया, जबकि प्रदर्शन के आयोजकों के मुताबिक़ इसमें उनके लोगों का कोई हाथ नहीं है

Updated: Dec 13, 2020, 07:23 PM IST

Photo Courtesy: The Print
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वॉशिंगटन। भारत में कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आदोलन की गूंज विदेशों में भी सुनाई दे रही है। अमेरिका के वॉशिंगटन में किसानों के समर्थन में जोरदार प्रदर्शन हुआ। लेकिन इस दौरान महात्मा गांधी की प्रतिमा को नुकसान पहुंचाए जाने के आरोप भी लगे हैं। भारतीय दूतावास का कहना है कि इस घटना के पीछे खालिस्तानी तत्वों का हाथ है।

आरोप ये भी लगाया जा रहा है कि प्रदर्शन के दौरान वहां खालिस्तान के झंडे भी लहराये गए। इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। हालांकि ये वीडियो सही है या गलत ये जांच का विषय है, क्योंकि पुराने या किसी और जगह के वीडियो को दूसरी घटना और जगह से जोड़कर वायरल करना अब एक आम रिवाज़ बन चुका है।

भारतीय दूतावास ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा है, ‘महात्मा गांधी मेमोरियल प्लाजा में महात्मा गांधी की प्रतिमा को 12 दिसंबर 2020 को खालिस्तानी तत्वों द्वारा खंडित कर दिया गया। दूतावास गुंडों द्वारा की गई इस शरारती हरकत की कड़ी निंदा करता है। दूतावास ने अमेरिकी एजेंसियों से इसकी शिकायत की है और इस मामले की जल्द से जल्द जांच करके दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है।‘ हालांकि वॉशिंगटन डीसी में हुए इस प्रदर्शन के आयोजकों का कहना है कि महात्मा गांधी गांधी की प्रतिमा को नुकसान पहुंचाने की घटना में प्रदर्शनकारियों का कोई हाथ नहीं है। 

बहरहाल, इस विवाद को अलग रखकर देखें तो ग्रेटर वॉशिंगटन डीसी, वर्जीनिया और मैरीलैंड के अलावा पेंसिल्वेनिया, न्यूयॉर्क, न्यूजर्सी, इंडियाना, ओहायो और नॉर्थ कैरोलाइना जैसे राज्यों से आए सैकड़ों सिखों ने वॉशिंगटन डीसी में भारतीय दूतावास तक कार रैली निकाली।

किसान आंदोलन को नुकसान पहुंचाने वाली घटना के पीछे कौन

ध्यान रहे कि भारत में भी बीजेपी के कई नेता और मंत्री किसान आंदोलन में खालिस्तानी तत्वों के शामिल होने के आरोप लगाते हैं। ऐसा आरोप लगाने वालों में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी शामिल हैं। जबकि आंदोलन से जुड़े तमाम नेता इन आरोपों को बेबुनियाद और किसानों को बदनाम करने की साज़िश बताते रहे हैं। ज़ाहिर सी बात है कि वॉशिंगटन में हुई वारदात से खट्टर जैसे भाजपाइयों को अपनी बात को सही बताने का मौका मिलेगा, जबकि किसान आंदोलन की छवि इससे खराब होती है। ऐसे में ये हैरान करने वाली बात है कि किसानों के ंआंदोलन का समर्थन करने वाला कोई शख्स या संगठन ऐसी हरकत क्यों करेगा, जिससे आंदोलन को नुकसान हो और उसके विरोधियों को फायदा? बहरहाल, सच क्या है इसका पता तो पूरे मामले की बारीकी से जांच करने के बाद ही चलेगा।