झूलेलाल मंदिर हादसे में अबतक 36 की मौत, मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष पर गैर इरादतन हत्या का FIR दर्ज

इंदौर पुलिस कमिश्नर मकरंद देउसकर ने कहा कि इस मामले में न्यायिक जांच के आदेश हो गए हैं, इसलिए अभी किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है।

Updated: Mar 31, 2023, 06:35 PM IST

इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर में रामनवमी पर हुए हादसे में मृतकों की संख्या 36 तक पहुंच गई है। हादसे के 24 घंटे बाद 53 वर्षीय सुनील सोलंकी का शव दोपहर करीब 12 बजे बावड़ी में मिला। उसे करीब 12.20 बजे बावड़ी से बाहर निकाला गया। 18 लोगों का अभी एप्पल हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है। सर्च ऑपरेशन अब पूरा हो चुका है।

हादसे को लेकर श्री बालेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं पूर्व बीजेपी पार्षद सेवाराम गलानी और सचिव श्रीकांत पटेल और कुमार सबनानी के खिलाफ धारा 304 के तहत एफआईआर (FIR) दर्ज की गई है। इंदौर पुलिस कमिश्नर मकरंद देउसकर ने कहा कि इस मामले में न्यायिक जांच के आदेश हो गए हैं, इसलिए अभी किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है।

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बता दें रामनवमी के दिन गुरुवार को दिन में लगभग 11:30 बजे ये हादसा हुआ था, जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया। इस हादसे में एक दो नहीं बल्कि अब तक 36 जानें जा चुकी हैं। घटना के अगले दिन सीएम शिवराज इंदौर पहुंचे। यहां पीड़ित परिजनों ने उनका जमकर विरोध किया। सीएम ने इंदौर में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि प्रदेश में ऐसे ढंके हुए कुएं-बावड़ी की तलाश कर खोले जाएंगे ताकि फिर कोई हादसा न हो।

बताया जा रहा है कि इस हादसे के शिकार लोगों में से अधिकांश को ये पता भी नहीं था कि वे जिस जगह दर्शन और हवन-पूजन करते हैं, उसके नीचे कुआं है। अब बड़ा सवाल ये है कि क्या मंदिर की बावड़ी में इस हादसे को टाला जा सकता था? इसका जवाब हां है। अगर इंदौर नगर निगम स्थानीय लोगों की शिकायतों पर गौर करती और कार्रवाई करती, तो शायद 35 लोगों की जान जाने से बच सकती थी। लोगों की शिकायत पर नगर निगम ने ट्रस्ट को अतिक्रमण का नोटिस भी भेजा था। लेकिन ट्रस्ट की ओर से जवाब मिला कि यह हिंदू धर्म में हस्तक्षेप है।

मंदिर ट्रस्ट ने लगभग 20 साल पहले यह बावड़ी को अवैध तरीके से ढक दिया था। स्थानीय लोगों के मुताबिक मंदिर प्रबंधन ने इस बावड़ी को भराव किए बगैर ही पैक कर ऊपर से गर्डर और फर्शियां डाल दी थी। उसके बाद टाइल्स लगा दी थी। निगम ने निर्माण को अवैध मानते हुए रोकने के लिए कहा, लेकिन कभी कार्रवाई नहीं की गई। बताया जा रहा है कि इसके पीछे एक बड़े भाजपा नेता का राजनीतिक दबाव था। बहरहाल, इस घटना में जिन निर्दोष लोगों ने जानें गंवाई उन्हें तो वापस नहीं लाया जा सकता, लेकिन जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई जरूर हो सकती है, ताकि भविष्य में इस तरह की लापरवाहियां न हों।