छिंदवाड़ा में कफ सिरप पीने से एक और बच्ची की मौत, प्रशासन ने मेडिकल स्टोर को किया सील

छिंदवाड़ा में एक बार फिर से जहरीले कफ सिरप की खबर सामने आई है। जिले के बिछुआ थाना क्षेत्र में 5 माह की बच्ची की आयुर्वेदिक कफ सिरप पीने के बाद मौत हो गई। दवा डॉक्टर की सलाह के बिना दी गई थी।

Publish: Oct 30, 2025, 06:09 PM IST

छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले से एक दर्दनाक घटना सामने आई है। छिंदवाड़ा की इस घटना ने एक बार फिर स्वास्थ्य व्यवस्था और दवाइयों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिले के बिछुआ क्षेत्र में रहने वाली 5 माह की बच्ची रोही मिनोटे की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। परिजनों का कहना है कि बच्ची को सर्दी और बुखार था। जिसके चलते उन्होंने बिना डॉक्टर की सलाह के मेडिकल स्टोर से खरीदी गई एक आयुर्वेदिक कफ सिरप उसे पिला दी थी। सिरप पीने के कुछ दिनों बाद बच्ची की तबीयत और ज्यादा बिगड़ गई और उसकी मौत हो गई।

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जानकारी के मुताबिक, बिछुआ निवासी संदीप मिनोटे की बेटी रोही की तबीयत सोमवार को खराब हुई थी। परिजन उसे डॉक्टर के पास ले जाने के बजाय कुरेठे मेडिकल स्टोर से आयुर्वेदिक कफ सिरप लेकर आए और घर पर ही बच्ची को पिला दिया। सिरप देने के चार दिन बाद यानी मंगलवार को अचानक उसकी तबीयत बिगड़ गई। परिजन उसे तुरंत सिविल अस्पताल लेकर पहुंचे जहां डॉक्टरों ने बच्ची को मृत घोषित कर दिया।

घटना की सूचना मिलने के बाद बिछुआ थाना पुलिस मौके पर पहुंची और मामले की जांच शुरू कर दी। बिछुआ थाना के टीआई ने बताया कि परिजनों की शिकायत पर मर्ग कायम किया गया है और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल सिरप का सैंपल जांच के लिए भेज दिया गया है।

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यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब देशभर में जहरीले कफ सिरप से बच्चों की मौत के कई मामले उजागर हो चुके हैं। हाल ही में चेन्नई की श्रीसन फार्मास्यूटिकल कंपनी द्वारा निर्मित कोल्ड्रिफ कफ सिरप से 24 बच्चों की मौत हो चुकी है। जांच में पाया गया था कि उस सिरप में 48.6% डायथलीन ग्लाइकोल नामक जहरीला रासायनिक तत्व मौजूद था जो मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है।

छिंदवाड़ा की यह नई घटना एक बार फिर फार्मेसी रेगुलेशन, मेडिकल स्टोर पर निगरानी और बिना प्रिस्क्रिप्शन दवा बिक्री पर नियंत्रण को लेकर गंभीर चिंता पैदा करती है। स्वास्थ्य विभाग ने पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है। जबकि, जिला प्रशासन ने संबंधित मेडिकल स्टोर की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं।

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