ब्लैक फंगस पीड़ित ने कहा किसी की ज़िन्दगी से खेलकर मत भरो तिजोरी, मानवाधिकार आयोग में याचिका दायर

पीड़ित ने कहा, हाथ जोड़ता हूं- किसी की जिंदगी से खेलकर अपनी तिजाेरी मत भरो, बीमारी से बचानेवाले इंजेक्शन को काला बाजारी से बख्श दो" दवाओं की काला बाजारी रोकने के लिए

Updated: May 17, 2021, 03:48 PM IST

Photo courtesy: bhaskar
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जबलपुर। जबलपुर में ब्लैक फंगस तेजी से पैर पसार रहा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पूरे जिले में ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या 28 पहुंच चुकी है। सरकारी और निजी दोनों ही तरह के अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ रही है। लेकिन दबाओं के अभाव में मरीजों की मौत हो रही है और अस्पतालों में एक ेक इंजेक्शन के लिए जूझ रहे लोगों को किसी तरह की सहायता नहीं मिल रही है। कई दिनों से मीडिया में ऐसी रिपोर्ट्स प्रकाशित हो रही हैं, सोशल मीडिया भरी पड़ी है कि जबलपुर में दवाएं नहीं मिल रहीं लेकिन सुनवाई सिफर है। तंग आकर सांसद विवेक तन्खा ने मानवाधिकार आयोग से गुहार लगाई है।

जबलपुर के एक मरीज़ ने दवाओं की कमी से दुखी होकर एक वीडियो मैसेज बनाया है, जो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। एक निजी अस्पताल में भर्ती मरीज़ अर्पित राय ने प्रदेश के 500 मरीजों की जिंदगी बचाने के लिए एक मार्मिक अपील की है। उन्होंने वीडियो जारी करते हुए कहा है कि, "चंद रुपयों की खातिर किसी की जान से मत खेलो। ब्लैक फंगस से बचाने वाले इंजेक्शन को कालाबाजारी से बख्श दो। मेरी हाथ जोड़कर आप सभी से अपील है, किसी की जिंदगी से खेलकर तिजोरी मत भरो। जिंदगी में बहुत से मौके मिलेंगे, पैसे कमाने के। किसी की आंख या जबड़ा निकलवाने से बचा लो।"

नरसिंहपुर जिले के गाडरवाड़ा निवासी अर्पित राय कोरोना से पीड़ित हैं। उन्होंने बताया कि बीते 21 अप्रैल को बुखार होने पर उन्होंने जांच करायी थी। 19 % फेफड़े संक्रमित निकले। दवा लेने के बाद 22 अप्रैल को जबलपुर के निजी अस्पताल में भर्ती हुआ। काेरोना संक्रमण के बीच में ही ब्लैक फंगस ने चपेट में ले लिया। अर्पित ने सोशल मीडिया पर वीडियाे जारीकर ब्लैक फंगस से बचाने वाले इंजेक्शन उपलब्ध कराने की सरकार से अपील की है। ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीजों को 40 इंजेक्शंस लगवाने हैं। ेक इंजेक्शन की कीमत 354 रुपए है। लेकिन इसकी कालाबाज़ारी ने मरीज़ों की जिन्दगी दांव पर लगा दी है। शहर में मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शहर में इस इंफेक्शन की दवा "एमफोटेरेसिन बी" की भी बेहद कमी हो रही है। जबकि स्वास्थ्य महकमे का दावा है कि इस फंगल इंफेक्शन के लिए पर्याप्त दवाएं उपलब्ध है।

अर्पित जैसे मरीज़ों को राहत देने के लिए राज्य सभा सांसद विवेक तन्खा ने राज्य मानव अधिकार आयोग में याचिका दायर की है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, "मेरी एमपी मानव अधिकार आयोग को याचिका मरीज़ों की कठिनाई दूर करने के लिए। दवाइयों के लिए परिवार के सदस्य भटक रहे है। रेमड़ेसिविर,आईसीयू , आक्सिजन के बाद ब्लैक फ़ंगस की दवाइयाँ सामान्य रूप से अस्पतालों और pharmacies में उपलब्ध नहीं है। मरीज़ अपनी जान की रक्षा के लिए आप के शरण में"

हाल ही में सरकार ने दावा किया है कि देश का पहला म्यूकोरमाईकोसिस यूनिट एमपी में बनाया जाएगा और भोपाल के हमीदिया अस्पताल एवं जबलपुर मेडिकल कॉलेज में 10 बिस्तर का वार्ड और ऑपरेशन थिएटर भी तैयार होगा। म्यूकोर यानी ब्लैक फंगस की प्राथमिक स्तर पर पहचान और उपचार का काम इन अस्पतालों में किया जाएगा। लेकिन  जब सरकार प्रदेश में ब्लैक फंगस के इलाज में दी जाने वाली दबाओं की कालाबाजारी ही नहीं रोक पा रही है तो इन अस्पतालों से क्या फायदा?