दमोह उपचुनाव प्रचार में सिंधिया की नो एंट्री, केपी यादव के लिए बीजेपी ने खोले दरवाजे

राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाराजगी का बीजेपी पर नहीं पड़ा कोई असर, लोकसभा में उन्हें हराने वाले केपी यादव को चुनाव प्रचार के लिए बुलाया

Updated: Apr 04, 2021, 03:23 PM IST

Photo Courtesy: Youtube
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दमोह। मध्यप्रदेश में होने वाले दमोह उपचुनाव के लिए बीजेपी की ओर से गुना सांसद केपी यादव चुनाव प्रचार कर रहे हैं। बीजेपी द्वारा केपी यादव को प्रचार में बुलाए जाने को लेकर प्रदेश की राजनीति गरमा गई है। वजह ये है की पिछले लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया को धूल चटाकर सांसद बनने वाले केपी यादव को ऐसे समय में प्रचार के लिए बुलाया गया है जब खबरें आ रही है कि पार्टी ने सिंधिया को चुनाव से दूर रहने का निर्देश दिया है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक चुनाव प्रचार में आने पर रोक लगाने की वजह से सिंधिया इतने खफा हो गए कि उन्होंने अपने अन्य कार्यक्रमों तक को रद्द कर दिया है। उधर सिंधिया के इस नाराजगी की खबर लगने के बावजूद अब पार्टी हाईकमान ने उन्हें मनाने की बजाए उनके जले पर नमक छिड़कने का काम कर दिया है। बीजेपी द्वारा केपी यादव को प्रचार में उतारने के बाद कांग्रेस को सिंधिया को घेरने का बैठे-बिठाए मुद्दा मिल गया है। 

शिवराज के चूल्हे में नई राख- कांग्रेस

कांग्रेस ने इस मामले पर तंज कसते हुए कहा है कि शिवराज के चूल्हे में नई राख दिख रही है। मध्यप्रदेश कांग्रेस ने ट्वीट किया, 'सिंधिया को हराने वाले गुना सांसद केपी यादव दमोह में प्रचार कर रहे हैं, और सिंधिया का दमोह प्रवेश पर प्रतिबंध है। “शिवराज के चूल्हे में नई राख दिख रही है”

इससे पहले कल खबर आई थी कि सिंधिया को स्टार प्रचारकों की सूची में 10वें स्थान पर धकेले जाने के बाद अब चुनाव प्रचार अभियान से भी दूर रहने का निर्देश दिया गया है। इस बात को लेकर सिंधिया पार्टी हाईकमान से नाराज हैं और खफा होकर उन्होंने अपने सभी दौरों को रद्द कर दिया है।

कांग्रेस ने कल इस मामले पर भी सिंधिया को घेरा था। मध्यप्रदेश कांग्रेस ने कल अपने एक ट्वीट में लिखा कि, 'सिंधिया को सम्मान की एक और खेप, दमोह उपचुनाव में प्रचार करने से रोका, बीजेपी ने सिंधिया को पहले स्टार प्रचारकों की सूची में दसवें स्थान पर धकेला और अब दमोह में चुनाव प्रचार करने पर भी रोक लगाई। नाराज महाराज जल्द शिवराज को लाल आँखें दिखायेंगे।'

माना जा रहा है कि कांग्रेस द्वारा गद्दार और बिकाऊ करार दिए जाने के बाद सिंधिया की छवि को नकारात्मक मानते हुए बीजेपी चाहती है कि उनके बिना ही चुनाव प्रचार किया जाए। ताकि कांग्रेस को गद्दार और बिकाऊ वाले मुद्दे पर ज्यादा बोलने का मौका न मिल पाए। चूंकि, दमोह उपचुनाव में कांग्रेस इस नारे को लगातार बुलंद कर रही है कि जनता का ग़द्दार है जो, करारी हार का हक़दार है वो।

हालांकि, सियासी पंडितों का एक धड़ा इससे अलग मत रखता है। कुछ जानकारों का यह मानना है कि दशकों तक सिंधिया परिवार का गढ़ रहा गुना, के इलाके में महाराज को बीजेपी दोबारा से उठने नहीं देना चाहती है। बीजेपी ने केपी यादव को इसीलिए प्रचार अभियान में शामिल किया है ताकि गुना के लोगों में यह संदेश जाए कि अब केपी यादव का कद प्रदेश की राजनीति में सिंधिया से बड़ा हो गया है।

बीते दिनों इस तरह की खबरें भी आई थीं कि बीजेपी में जाने के बाद सिंधिया लोकसभा चुनाव में अपनी हार का बदला लेने के लिए केपी यादव का अपमान करवा रहे थे। ऐसे में केपी यादव का सिंधिया से बदला के रूप में भी इस प्रचार अभियान को देखा जा रहा है। यह बात तब खुलकर सामने आई जब गुना में किसी शिलान्यास कार्यक्रम के दौरान शिलापट्ट पर पूर्व सांसद सिंधिया का नाम लिखा गया लेकिन वहीं मौजूद केपी यादव का जिक्र नहीं था। ऐसे में यह भी माना जा रहा है कि यादव ने अपने अपमान का बदला दोगुने अपमान से ले लिया है।