सेक्शुअल हरासमेंट जैसे जरूरी मुद्दों पर चर्चा क्यों नहीं करते, मॉक पार्लियामेंट में CM मोहन यादव से बोली छात्रा

CM मोहन यादव ने जवाब देते हुए कहा कि हमारी संस्कृति में महिलाओं को हमेशा सम्मान मिला है। हमारी सरकार भी इसी भावना से काम कर रही है। हमने महिलाओं को प्रशासन के बड़े-बड़े पदों पर नियुक्त किया है।

Publish: Jul 03, 2025, 05:40 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक मॉक पार्लियामेंट के दौरान एक छात्रा के सवाल से सीएम मोहन यादव असहज हो गए। छात्रा ने सीएम यादव से पूछा कि सरकार सिर्फ विकसित भारत या आपातकाल जैसे मुद्दे ही क्यों चुनती है? सेक्शुअल हरासमेंट जैसे जरूरी मुद्दों पर कभी चर्चा क्यों नहीं होती? ये बातें क्यों दबाई जाती हैं? सेक्शुअल हरासमेंट जैसे मामलों में लोगों को सजा भी नहीं मिल रही। इस पर भी मॉक पार्लियामेंट में डिबेट होनी चाहिए। 

छात्रा छाया बिलगैंया ने गुरुवार को बीजेपी महिला मोर्चा की ओर से आयोजित मॉक पार्लियामेंट में विपक्ष की भूमिका में रहते हुए ये बातें कही। इसपर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने जवाब देते हुए कहा कि हमारी संस्कृति में महिलाओं को हमेशा सम्मान मिला है। हमारी सरकार भी इसी भावना से काम कर रही है। हमने महिलाओं को प्रशासन के बड़े-बड़े पदों पर नियुक्त किया है।

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मुख्यमंत्री मोहन यादव ने आगे कहा कि भोपाल में ही एक घटना में हमारी पुलिस ने बहुत तेजी से काम किया और आरोपी को फांसी की सजा दिलवाई। मध्य प्रदेश पहला राज्य है जिसने ऐसे मामलों में फांसी का प्रावधान किया है। हमारी सरकार ऐसे अपराधियों को किसी हाल में नहीं बख्शेगी। इस दौरान CM ने स्टूडेंट्स से पूछा कि ऐसा कौन सा जिला जहां SP और कलेक्टर दोनों महिलाएं हैं? छात्राओं ने जवाब में नरसिंहपुर बताया। सीएम ने उनके जवाब को सही बताते हुए कहा कि शहडोल संभाग में तो संभागायुक्त भी महिला हैं।

इस दौरान बीजेपी के नवनिर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने कहा कि दुनिया में जिस समाज ने महिलाओं को सम्मान दिया वो समाज आगे बढ़ा। हर वो देश जहां महिलाओं को सम्मान मिला चाहे अमेरिका हो या यूरोप ये देश दुनिया में इसलिए चमकते हैं क्योंकि सबसे ज्यादा महिलाओं का सम्मान कहीं पर है तो यहां पर है।

उन्होंने कहा कि मैं हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देना चाहता हूं क्योंकि दुनिया के देशों में जहां पार्लियामेंट में महिलाओं का प्रतिशत स्वीडन हो, नार्वे, साउथ अफ्रीका या फिर ऑस्ट्रेलिया की बात करें ये वो देश हैं जहां 33% आरक्षण न मिलने के बावजूद महिलाएं संसद का प्रतिनिधित्व करती है।