तानसेन की नगरी ग्वालियर को सिटी ऑफ म्यूजिक का दर्जा, मध्य प्रदेश स्थापना दिवस पर UNESCO ने दी बड़ी सौगात

ग्वालियर चंबल अब यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क (UCCN) में शामिल हो गया है, शहर ने ‘संगीत’ श्रेणी में इस प्रतिष्ठित सूची में जगह बनाई है जिसकी घोषणा यूनेस्को ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर की है।

Updated: Nov 01, 2023, 01:16 PM IST

ग्वालियर। मध्य प्रदेश स्थापना दिवस पर प्रदेश के लिए बड़ी खुशखबरी आई है। UNESCO ने संगीत सम्राट तानसेन की जन्मस्थली ग्वालियर को सिटी ऑफ म्यूज़िक के रूप में चुना है। इस उपलब्धि को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गौरव भरा पल बताया है।

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बुधवार सुबह ट्वीट किया, 'मध्य प्रदेश स्थापना दिवस के अवसर पर प्रदेश खासकर ग्वालियर-वासियों के लिए एक गौरव भरा ऐतिहासिक पल!  मुझे यह बताते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि यूनेस्को द्वारा ग्वालियर को “सिटी ऑफ़ म्यूजिक” की मान्यता दी गई है। यह उपलब्धि मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर व एमपी टूरिज्म के साथ मिलकर किये गए हमारे अथक प्रयासों का परिणाम है।'

सिंधिया ने आगे लिखा, 'ग्वालियर की यह उपलब्धि विश्व पटल पर मध्य प्रदेश की एक नई पहचान स्थापित करेगी और विकास व रोज़गार के नये द्वार खोलेगी। सभी प्रदेश वासियों को इस ऐतिहासिक उपलब्धि की अनंत बधाई तथा स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।' UNESCO का सिटी ऑफ म्यूजिक प्रोग्राम व्यापक क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क का हिस्सा है। ये नेटवर्क 2004 में लॉन्च हुआ था।

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बता दें कि तानसेन का जन्म ग्वालियर से लगभग 45 किमी दूर ग्राम बेहट में मकरंद बघेल के घर हुआ था। वे अकबर के नवरत्नों में से एक थे। तानसेन का नाम रामतनु था। वे स्वामी हरिदास के शिष्य थे। बाद में उन्होंने हजरत मुहम्मद गौस से संगीत सीखा। वह अकबर के दरबार में संगीतकार थे। उन्हें उनकी महाकाव्य ध्रुपद रचनाओं के लिए याद किया जाता है, जिसमें कई नए राग रचे गए। साथ ही संगीत पर दो क्लासिक पुस्तकें श्री गणेश स्तोत्र और संगीता सारा लिखी गईं।