मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में जजों की कमी, जनता को न्याय मिलने में हो रही देरी

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में जजों की भारी कमी के चलते लंबित मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। मौजूदा समय में हाईकोर्ट में कुल 4 लाख 62 हजार से अधिक मामले पेंडिंग हैं। न्यायाधीशों के कुल 53 स्वीकृत पदों में से केवल 33 जज ही कार्यरत हैं, जबकि 20 पद रिक्त हैं।

Updated: Jan 15, 2025, 03:15 PM IST

Photo courtesy: ABP News
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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में जजों की भारी कमी के चलते लंबित मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। मौजूदा समय में हाईकोर्ट में कुल 4 लाख 62 हजार से अधिक मामले पेंडिंग हैं। न्यायाधीशों के कुल 53 स्वीकृत पदों में से केवल 33 जज ही कार्यरत हैं, जबकि 20 पद रिक्त हैं। इस गंभीर स्थिति के कारण हाईकोर्ट के प्रत्येक न्यायाधीश पर औसतन 14,000 मामलों का बोझ आ गया है। न्यायाधीशों की कमी के कारण मामलों के निपटारे में देरी हो रही है, जिससे आम जनता को न्याय के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।

वहीं स्थिति की गंभीरता को देखते हुए नए साल में कुछ राहत की उम्मीद जताई जा रही है। हाईकोर्ट कॉलेजियम ने वकीलों के कुछ नाम सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को भेजे हैं। सुप्रीम कोर्ट की स्वीकृति मिलने के बाद ये नाम राष्ट्रपति को भेजे जाएंगे। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा भेजे गए कुछ नाम अब भी कानून विभाग के पास लंबित हैं। हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने भी हाल ही में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से मुलाकात कर रिक्त पदों को जल्द भरने की मांग की है।

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हालांकि, इस वर्ष रिटायरमेंट के कारण समस्या और बढ़ने की आशंका है। 2025 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश समेत 8 जज रिटायर होने वाले हैं। इनमें चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैथ, जस्टिस सुनीता यादव, जस्टिस पीसी गुप्ता, जस्टिस डीवी रमना, जस्टिस संजय द्विवेदी, जस्टिस डीके पालीवाल, जस्टिस पीएन सिंह और जस्टिस एके पालीवाल शामिल हैं।

हाई कोर्ट में जजों की कमी का सबसे ज्यादा असर गंभीर अपराधों पर पड़ रहा है। पॉक्सो एक्ट के तहत नाबालिग से दुष्कर्म के 4,928 मामले हाईकोर्ट में लंबित हैं। इन मामलों में कुल 5,243 आरोपी हैं, जिनमें से 2,650 जेल में बंद हैं और 2,593 आरोपी (लगभग 50%) जमानत पर बाहर हैं। दुष्कर्म पीड़ित नाबालिग बेटियों को न्याय के लिए सालों इंतजार करना पड़ रहा है।