मणिपुर हिंसा की जांच के लिए SIT की 42 टीमें गठित, निगरानी के लिए 3 महिला जजों का पैनल

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस रहीं गीता मित्तल इस कमेटी की हेड रहेंगी। कमेटी की दो अन्य सदस्य जस्टिस (रिटायर्ड) शालिनी पी जोशी और जस्टिस (रिटायर्ड) आशा मेनन रहेंगी।

Publish: Aug 07, 2023, 06:09 PM IST

नई दिल्ली। मणिपुर हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी दखल दी है। सुप्रीम कोर्ट मणिपुर हिंसा की जांच की निगरानी करने को तैयार हो गया है। कोर्ट ने हिंसा मामलों की जांच की निगरानी महाराष्ट्र के पूर्व IPS अफसर दत्तात्रेय पद्सालजिलकर को सौंपी है। महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जांच CBI ही करेगी, लेकिन स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई में दूसरे राज्यों से DySP रैंक के 5-5 अफसर लेने का फैसला किया गया है। बाकी मामलों की पुलिस जांच में 42 SIT बनेंगी। इनका नेतृत्व SP रैंक का अधिकारी करेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि DIG स्तर के अफसर 6-6 SIT की निगरानी करेंगे। तीन पूर्व हाईकोर्ट जजों की अध्यक्षता में एक समिति का गठन होगा, जो मणिपुर में राहत, पुनर्वास की निगरानी करेगी। जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की पूर्व CJ गीता मित्तल की अगुवाई में बॉम्बे हाईकोर्ट की पूर्व जज शालिनी और दिल्ली हाईकोर्ट की पूर्व जज आशा मेनन की कमेटी का गठन करेंगे।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान कहा कि हम हाईकोर्ट के जजों की कमेटी और IPS अफसर दत्तात्रेय पद्सालजिलकर को समय-समय पर रिपोर्ट दाखिल करने को कहेंगे। हमारा प्रयास कानून व्यवस्था और भरोसे को बहाल करने का होगा। सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में जांच की निगरानी करने और सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट करने के लिए मुंबई के पूर्व कमिश्नर और महाराष्ट्र के डीजीपी दत्तात्रय पडसलगीकर को नियुक्त किया है। सीजेआई का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट यह सुनिश्चित करना चाहता है कि संतुलन बना रहे और जांच ठीक से हो।

सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि मणिपुर की मौजूदा स्थिति नाजुक है। बाहर से जांच होना लोगों में विश्वास पैदा नहीं करेगा। सरकार स्थिति को संभालने के लिए परिपक्व तरीके से डील कर रही है। मणिपुर में एक आर्टिफिशियल सिचुएशन बनाई गई है, जिससे बताया जा रहा है कि सरकार कुछ नहीं कर रही। यह बहुत उलझाऊ स्थिति है। कोर्ट ने इस दौरान ये भी कहा कि ऐसी कोशिशें की जानी चाहिए, ताकि राज्य के लोगों में विश्वास और कानून के शासन में भरोसा लौट सके।