Bihar Election: बिहार चुनाव में कितने गठबंधन, किसने तोड़ी दोस्ती और कौन दुश्मन बना दोस्त, यहां है पूरी जानकारी

बिहार चुनाव में एक ओर जहां एनडीए और महागठबंधन आमने सामने हैं, वहीं दूसरे दलों ने भी अलग-अलग मोर्चे बनाए हैं।

Updated: Oct 06, 2020, 04:34 PM IST

Photo Courtesy: Business Today
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नई दिल्ली। बिहार का चुनाव हमेशा से ही अपनी राजनीतिक पेचीदगी और अलग-अलग समीकरणों के लिए जाना गया है। लेकिन इस बार कुछ ऐसा हुआ है, जो शायद पहले कभी नहीं हुआ। बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार पहले के मुकाबले कहीं अधिक गठबंधन हुए हैं। रोचक बात ये है कि इस बार गठबंधन के अंदर भी समर्थन और विरोध की राजनीति है। इन सब पहलुओं ने इस बार के बिहार चुनाव को और भी अधिक कसा हुआ और रोचक बना दिया है। 

एनडीए में जदयू और भाजपा का गठबंधन

बिहार के मुख्यमंत्री हैं नीतीश कुमार। वे जनता दल यूनाइडेट के प्रमुख हैं। पिछली बार बीच रास्ते में ही उन्होंने राजद का साथ छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। तब से वे भाजपा के साथ ही चिपके हुए हैं। केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए का हिस्सा भी है जदयू। इस बार का विधानसभा चुनाव भी दोनों पार्टियां 50-50 के फॉर्मूले से लड़ रही हैं। हालांकि, पहले गठबंधन में जेडीयू को बड़े भाई के नाम से जाना जाता था। लेकिन इस बार तमाम मुद्दों पर नीतीश कुमार की फजीहत होने से परिस्थितियां बदल गई हैं। एनडीए में जीतनराम मांझी की पार्टी भी शामिल है। 

एनडीए में लोजपा और भाजपा का गठबंधन

लोजपा ने इस बार बिहार चुनाव के समीकरणों को एकदम पलटकर रख दिया है। पार्टी ने इस बार अजीबो गरीब रणनीति अपनाई है। कुछ लोग इसे एकदम सटीक रणनीति भी कह रहे हैं। कहने को तो लोजपा केंद्र में एनडीए का हिस्सा और वहां जदयू का समर्थन करती है लेकिन इस बार विधानसभा चुनावों में उसने जदयू के खिलाफ उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है। हालांकि, पार्टी भाजपा को समर्थन जारी रखेगी। भाजपा ने भी इस कदम का अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन किया है। अगर कहीं लोजपा जदयू से आगे निकल जाती है तो नीतीश कुमार की छुट्टी पक्की है और बीजेपी की भी ठीक ठाक सीटें आ जाने पर राज्य में भाजपा का मुख्यमंत्री शपथ ले सकता है। 

महागठबंधन

महागठबंधन इस बार राज्य में विपक्ष का चेहरा है। इस गठबंधन का चेहरा राजद के नेता तेजस्वी यादव हैं। गठबंधन अपने सीट बंटवारे का भी एलान कर चुका है। जिसके तहत गठबंधन के सबसे बड़े दल राजद को 144 सीटें मिली हैं। गठबंधन में दूसरे नंबर के दल कांग्रेस को 70 और वामपंथी दलों को 29 सीटें मिली हैं। वामपंथी दलों में भाकपा माले 19, भाकपा 6 और माकपा 4 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। माकपा ने अपने उम्मीदवारों की भी घोषणा कर दी है। इस गठबंधन में समाजवादी पार्टी और झारखंड मुक्ति मोर्चा भी शामिल हैं। राजद उन्हें अपने कोटे से सीट देगी। इस गठबंधन में मुकेश साहनी की वीआईपी पार्टी भी शामिल थी, लेकिन बाकी दलों द्वारा धोखे की शिकायत करते हुए वह गठबंधन से अलग हो गई है और अब प्रत्येक सीट पर अपना उम्मीदवार उतारेगी। 

बसपा, रालोसपा और जपस का गठबंधन

इस बार के बिहार चुनावों में एक तीसरा गठबंधन भी है। यह गठबंधन बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी और जनवादी पार्टी समाजवादी का है। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने मध्य प्रदेश और राजस्थान विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस को समर्थन दिया था। इसी तरह 2019 के चुनाव से पहले रालोसपा के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने एनडीए छोड़कर यूपीए में शामिल होने की घोषणा की थी। लेकिन इस बार दोनों ने मिलकर एक तीसरा मोर्चा बनाने का फैसला किया है। मायावाती अनेक कारणों से कांग्रेस से नाराज चल रही हैं, वहीं उपेंद्र कुशवाहा के साथ मामला पूरी तरह से सीटों का है। बताया जा रहा है कि कुशवाहा ने तेजस्वी से 26 सीटों की मांग की थी, लेकिन तेजस्वी केवल 12 सीटें देने के लिए राजी थे। इसी तरह एनडीए भी कुशवाहा को 10 से अधिक सीटें देने के लिए राजी नहीं थी। 2015 के विधानसभा चुनाव में कुशवाहा की पार्टी एनडीए के खेमे से 22 सीटों पर लड़ी थी। इस बार किसी भी खेमे में दाल नहीं गलने पर कुशवाहा ने तीसरा मोर्चा बना लिया। 

AIMIM और SJD का गठबंधन

इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में एक और गठबंधन है। इस गठबंधन में असदुद्दीन ओवैसी का एआईएमआईएम और देवेंद्र प्रसाद यादव का समाजवादी जनता दल शामिल है। इस गठबंधन को संयुक्त जनतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष गठबंधन का नाम दिया गया है। ओवैसी ने कहा कि वे कम से कम 50 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेंगे। सीमांचल बिहार के किशनगंज में पार्टी का एक विधायक भी है। ओवैसी का कहना है कि वे दोनों ही प्रकार के गठबंधनों के राजनीतिक प्रभुत्व से लड़ेंगे। उनका कहना है कि बीजेपी और नीतीश कुमार मिलकर अल्पसंख्यकों और पिछड़ों के खिलाफ काम कर रहे हैं। 

प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन

बिहार में इस बार एक बिल्कुल नया गठबंधन भी प्रकाश में आया है। इसका नाम है प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन। इस गठबंधन में पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी, चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी, एमके फैजी की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया और बहुजन मुक्ति पार्टी शामिल हैं। इस गठबंधन में कई चेहरे पहली बार बिहार में चुनाव लड़ेंगे। हालांकि, गठबंधन के प्रमुख चेहरे पप्पू यादव बिहार की राजनीति के पुराने नुमाइंदे हैं। 

UDA और AAP का गठबंधन

अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत के नेतृत्व वाला यूनाइटेड डेमोक्रेटिक अलायंस भी बिहार चुनाव में साथ-साथ उतरने की तैयारी में है। इस गठबंधन में कुछ और छोटे राजनीतिक दल शामिल हो सकते हैं। यशवंत सिन्हा का कहना है कि वे बिहार विधानसभा की प्रत्येक सीट पर साफ छवि वाले उम्मीदवारों को उतारेंगे और उनका लक्ष्य शोषण रहित, अपराध और भ्रष्टाचार मुक्त बिहार बनाना है।