पूर्वी लद्दाख में देखे गए चीनी हेलीकॉप्टर

सके बाद भारतीय वायुसेना के एसयू-30 लड़ाकू विमानों ने भी उड़ान भरी.

Publish: May 13, 2020, 05:35 AM IST

पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच गैर निर्धारित सीमा के पास चीन के हेलीकॉप्टरों को उड़ान भरते देखा गया. आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी.

पिछले सप्ताह क्षेत्र में पैंगोंग झील के निकट दोनों पक्षों के लगभग 250 सैनिकों के बीच तीखी झड़प हुई थी.

बताया जा रहा है कि पिछले मंगलवार की शाम को सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़पों के बाद क्षेत्र के हालात तनावपूर्ण बने रहे. स्थानीय कमांडरों के बीच बातचीत के बाद अगले दिन दोनों पक्ष गतिरोध समाप्त करने पर सहमत को गए.

पता चला है कि चीनी सैन्य हेलीकॉप्टरों को कुछ मौकों पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के निकट उड़ान भरते हुए देखा गया. इसके बाद भारतीय वायुसेना के एसयू-30 लड़ाकू विमानों ने भी उड़ान भरी.

हालांकि, इस संबंध में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है कि क्या एसयू-30 लड़ाकू विमानों ने क्षेत्र में झड़प और चीन के आक्रामक तेवर के मद्देनजर उड़ान भरी थी या किसी अन्य कारण से.

चीनी सैन्य हेलीकॉप्टरों ने सीमा के चीन की तरफ नियमित तौर पर उड़ान भरी जबकि भारतीय सेना के हेलीकॉप्टरों ने भी क्षेत्र में उड़ान भरी.

पांच मई की देर शाम पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर भारतीय जवानों और चीनी सैनिकों के बीच झड़प और पथराव हुआ जिसमें दोनों ओर से कुछ सैनिक घायल हुए थे.

दोनों देशों के सैनिकों के बीच इस तरह की घटना पैंगोंग झील के पास अगस्त 2017 में हुई थी. उसके बाद यह ऐसी पहली घटना है.

भारत और चीन के सैनिकों के बीच 2017 में डोकलाम ट्राई जंक्शन के पास 73 दिन तक गतिरोध कायम रहा था. उस घटना से दोनों परमाणु सम्पन्न देशों के बीच युद्ध की आशंकाएं भी उत्पन्न हो गई थीं.

Click: भारत और चीन के सैनिकों में तीखी झड़प

भारत-चीन सीमा विवाद 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर है. यह दोनों देशों के बीच अघोषित सीमा है. चीन का दावा है कि अरुणाचल प्रदेश दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है जबकि भारत इसका खंडन करता आया है. दोनों पक्षों का कहना है कि सीमा मुद्दे का हल होने तक सीमा क्षेत्रों में शांति बनाये रखना जरूरी है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने डोकलाम गतिरोध के कुछ महीनों बाद अप्रैल 2018 में चीनी शहर वुहान में पहली अनौपचारिक वार्ता की थी.

वार्ता के दौरान दोनों नेताओं ने निर्णय किया था कि वे अपनी सेनाओं को संवाद मजबूत करने के लिए ‘‘रणनीतिक मार्गदर्शन’’ जारी करेंगे जिससे उनमें विश्वास और समझ का निर्माण हो सके.

मोदी और शी के बीच दूसरा अनौपचारिक शिखर सम्मेलन पिछले साल अक्टूबर में चेन्नई के पास मामल्लापुरम में हुआ था जिसमें द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक व्यापक बनाने पर जोर दिया गया था.