उत्तराखंड में आज से कॉमन सिविल कोड लागू, लिव इन रिलेशनशिप का रिजस्ट्रेशन कराना होगा अनिवार्य

UCC के तहत महिलाओं को भी पुरुषों के समान तलाक का अधिकार होगा। संपत्ति में बेटा बेटी को बराबर का अधिकार मिलेगा जायज और नाजायज बच्चों में भी कोई भेद नहीं होगा।

Updated: Jan 27, 2025, 12:31 PM IST

Representative Image, Courtesy: India Today
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देहरादून। उत्तराखंड में आज से विवादास्पद कानून यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू हो रहा है। राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को कहा था कि हम सोमवार यानी 27 जनवरी से UCC के नियमों को लागू करने जा रहे हैं। उत्तराखंड में UCC के नियम लागू होने के साथ ही ये राज्य देश में ऐसा करने वाला पहला राज्य बन गया है। UCC के लागू होते ही कई सारी चीजें आज से ही बदलने जा रही हैं।

यूसीसी का आज एक पोर्टल भी आज लॉन्च किया जाएगा। बता दें कि यूसीसी के नियम लागू करने से पहले इसे लेकर काफी लंबी कवायद चली थी। लोगों से विचार विमर्श किया गया था और पूरे उत्तराखंड में सभी लोगों से सलाह भी ली गई थी। इसके लिए एक विशेषज्ञ कमिटी बनाई गई थी। बीते दिनों कैबिनेट ने यूसीसी की नियमावली पर अपनी सहमति जताई थी।

UCC लागू होने के बाद सभी धर्म समुदायों में विवाह तलाक,गुजारा भत्ता और विरासत के लिए समान कानून अब होंगे शादियों का रजिस्ट्रेशन अब अनिवार्य होगा। विवाह के छह महीने के भीतर पंजीकरण कराना जरूरी होगा। 26 मार्च 2010 से पहले की शादियों का रजिस्ट्रेशन जरूरी नहीं होगा। पंजीकरण न कराने पर अधिकतम पच्चीस हज़ार रुपए का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। पंजीकरण नहीं कराने पर सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिलेगा।

इसके अलावा महिलाओं को भी पुरुषों के समान तलाक का अधिकार होगा। संपत्ति में बेटा बेटी को बराबर का अधिकार मिलेगा जायज और नाजायज बच्चों में भी कोई भेद नहीं होगा। किसी भी जाति, धर्म या संप्रदाय के शख्स के लिए तलाक का एक समान कानून लागू होगा। फिलहाल देश में हर धर्म के हिसाब इन मामलों का निपटारा किया जाता है। अब से उत्तराखंड में बुहविवाह पर रोक लगेगी। लड़कियों की शादी की उम्र चाहे वह किसी भी जाति या धर्म की हों, एक समान होगी। लड़कियों की शादी के लिए 18 साल का होना जरूरी है।

इसके अलावा लिव इन रिलेशनशिप का रिजस्ट्रेशन कराना कपल के लिए अनिवार्य होगा। अगर कोई कपल 18 से 21 साल के बीच के हैं तो उन्हें रजिस्ट्रेशन के दौरान अपने माता-पिता का सहमति पत्र भी देना होगा। UCC के लागू होने के बाद उत्तराखंड में हलाला जैसी कुप्रथा भी बंद होने जा रही है। साथ ही उत्तराधिकार के लिए अब से लड़कियों को लड़कों के बराबर ही माना जाएगा। यूसीसी के नियम और कानून से शेड्यूल ट्राइब को पूरी तरह से बाहर रखा गया है। इसके अलावा ट्रांसजेंडर और धार्मिक मामलों जैसे कि पूजा नियम व परंपराओं से किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की गई है।