आर्थिक पैकेज: 'खोदा पहाड़, निकला जुमला'
'अब तक की घोषणाओं से देशवासियों की आशाओं पर पानी फिर गया है.'

कांग्रेस पार्टी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 20 लाख करोड़ रुपये के कोरोना वायरस आर्थिक पैकेज के तहत लगातार दूसरे दिन की गई घोषणाओं को नाकाफी बताते हुए इसे एक और जुमला करार दिया है.
पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट किया, “श्रीमती निर्मला सीतारमण के आर्थिक पैकेज के दूसरे दिन की घोषणाओं का अर्थ- ‘खोदा पहाड़, निकला जुमला’.”
श्रीमती निर्मला सीतारमन के आर्थिक पैकेज के दूसरे दिन की घोषणाओं का अर्थ -:
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) May 14, 2020
“खोदा पहाड़, निकला जुमला”,#JumlaPackage
वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्य सभा सांसद आनंद शर्मा ने भी सिलसिलेवार ट्वीट किए.
उन्होंने कहा, “जब प्रधानमंत्री ने जीडीपी का 10 प्रतिशत हिस्सा आर्थिक पैकेज के रूप में देकर अर्थव्यवस्था को उबारने और कामगारों की मदद करने की नाटकीय घोषणा की थी तो देश को लगा था कि वे गंभीर हैं. वित्त मंत्री की घोषणाओं ने सभी आशाओं पर पानी फेर दिया.”
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उन्होंने आगे कहा, “जो करोड़ों कामगार अपनी रोजी रोटी खो चुके हैं उनके लिए बहुत कम पैसा दिया गया है. सबसे ज्यादा कष्ट प्रवासी मजदूरों ने सहा है और उन्हें बहुत कम राहत मिली है. वे भूखे पेट सूदूर अपने गांव जाने को मजबूर हुए हैं. उन्हें रेल का किराया तक देना पड़ा है. यह बड़ा स्तब्ध करने वाला है कि राज्यों को अभी तक आपातकालीन फंड ट्रांसफर नहीं किया गया है.”
India believed PM Shri @narendramodi was serious when he made the dramatic announcement of giving ten percent of GDP as economic package to revive the economy and support the workers and migrant labour expectations soared. FM's announcement dashed all hopes.
— Anand Sharma (@AnandSharmaINC) May 14, 2020
प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री की समझ पर सवाल उठाते हुए आनंद शर्मा ने कहा, “क्या प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री यह समझते हैं कि लिक्विडिटी उपायों, किसान ऋण और उद्योगों को क्रेडिट देने में मूलभूत अंतर है. वर्तमान में चल रही खाद्य सुरक्षा योजना और मनरेगा के लिए पहले से ही बजट में प्रावधान किया जा चुका है.”
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उन्होंने आगे कहा, “मनरेगा की मजदूरी में पहले ही हो चुकी 20 रुपये की बढ़ोतरी की घोषणा एक क्रूर मजाक है. अभी तक जो आर्थिक पैकेज घोषित किया गया है, वो जीडीपी का केवल दो प्रतिशत है. यह प्रधानमंत्री द्वारा देश को किए गए वादे से बहुत कम और निराश करने वाला है.”