इंदौर में शराब घोटाले को लेकर ईडी की बड़ी कार्रवाई, 18 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी
ईडी ने इंदौर में 100 करोड़ रुपये के आबकारी घोटाले की जांच के तहत 18 ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई फर्जी चालानों के जरिए शराब उठाने और बेचने के मामले में की गई।

इंदौर| प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार सुबह शहर में एक साथ 18 अलग-अलग जगहों पर छापे मारे। ये छापेमारी मुख्य रूप से शराब व्यापार से जुड़े लोगों के परिसरों में की गई। यह कदम आबकारी विभाग में हुए करोड़ों रुपये के गबन और फर्जी चालान के जरिए की गई वित्तीय अनियमितताओं की जांच के तहत उठाया गया।
जानकारी के अनुसार, 2015 से 2018 के बीच इंदौर के आबकारी कार्यालय में नकली चालानों का उपयोग कर शराब के गोदामों से तय मात्रा से अधिक शराब निकाली गई और बाजार में बेची गई। चालानों में बैंक में जमा राशि से कहीं ज्यादा रकम दर्शाई गई, जिससे शराब माफियाओं को बड़ा लाभ हुआ।
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दरअसल यह मामला सबसे पहले 2018 में उजागर हुआ था, जिसके बाद 2024 में ईडी ने इस पर औपचारिक जांच शुरू की। जांच के दौरान ईडी ने आबकारी विभाग और पुलिस से शराब ठेकेदारों के बैंक खाते, आंतरिक रिपोर्ट और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज मांगे थे।
आज जिन व्यापारियों के यहां तलाशी ली गई, उनमें एमजी रोड के अविनाश और विजय श्रीवास्तव, जीपीओ चौराहा के राकेश जायसवाल, तोपखाना इलाके के योगेंद्र जायसवाल, बायपास चौराहा स्थित देवगुराड़िया समूह के राहुल चौकसे, गवली पलासिया के सूर्यप्रकाश अरोरा, तथा गोपाल शिवहरे, लवकुश और प्रदीप जायसवाल के नाम प्रमुख हैं।
इस प्रकरण को लेकर पहले भी 12 अगस्त 2017 को रावजी बाजार थाने में 14 व्यक्तियों पर धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया था। उस समय आबकारी विभाग के कई कर्मचारियों को निलंबित भी किया गया था। जांच में पाया गया कि तीन वर्षों तक चालानों का क्रॉस मिलान नहीं किया गया, जिससे विभागीय मिलीभगत का संदेह और गहरा हो गया।
निलंबित अधिकारियों में जिला आबकारी अधिकारी संजीव दुबे के साथ-साथ लसूड़िया वेयरहाउस के डीएस सिसोदिया, महू वेयरहाउस के प्रभारी सुखनंदन पाठक, उप निरीक्षक कौशल्या सबवानी, हेड क्लर्क धनराज परमार और अनमोल गुप्ता भी शामिल थे। इसके अतिरिक्त उपायुक्त विनोद रघुवंशी समेत 20 अधिकारियों का तबादला भी किया गया था।
ईडी ने आबकारी विभाग को पत्र भेजकर शराब ठेकेदारों से हुई संभावित वसूली की जानकारी, संबंधित बैंक खातों का विवरण और विभागीय स्तर पर हुई जांच की रिपोर्ट साझा करने को कहा है। हालांकि, अब तक की जांच में 11 ऑडिटरों द्वारा करीब 1700 करोड़ के चालानों की जांच के बावजूद ठोस निष्कर्ष नहीं निकले हैं। इस पूरे मामले में अब तक कई प्रमुख शराब कारोबारियों को आरोपी बनाया जा चुका है।