Facebook: सेहत के लिए हानिकारक साबित हो रहा है फेसबुक
Danger to Public Health: करीब 4 अरब बार पढ़ी गई स्वास्थ्य संबंधी गलत जानकारियां, स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हुआ फेसबुक पोस्ट पढ़ना

नई दिल्ली। द वाल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के बाद सत्तारूढ़ बिजेपी के प्रति पक्षपाती होने का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। शोधकर्ताओं का एक समूह 'आवाज़' ने अपने एक शोध के आधार पर फेसबुक को सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा बताया है। इस रिपोर्ट के अनुसार फेसबुक पर स्वास्थ्य को लेकर गलत जानकारियां लगभग 3 अरब 80 लाख बार पढ़ी जा चुकी हैं वहीं कोरोना के दौर में यह आंकड़ा और बढ़ गया है।
डॉक्टरों ने कोरोना महामारी के दौरान सोशल नेटवर्क साइट फेसबुक पर कोविड टीकों के बारे में गलत दावे लिखे। अगर कोई दवा या टीका उपलब्ध हो भी जाती है तो यह दावे कोविड जैब के लिए तैयार किए गए नंबरों को सीमित कर सकते हैं। मामले पर अपना पक्ष रखते हुए फेसबुक ने बताया है कि रिपोर्ट में भले ही स्वास्थ्य के प्रति खतरे के आंकड़े दिखाए गए हों लेकिन फेसबुक कम्युनिटी की तरफ से लिए गए कदमों का ज़िक्र नहीं है। जबकि आवाज़ संस्था की मानें तो फेसबुक के द्वारा स्वास्थ्य को लेकर गलत जानकारी प्रेषित करते कुल पोस्ट के केवल 16% पर ही चेतावनी लेबल लगाया गया है।
फेसबुक ने अपने दावे में कहा था कि हम अवाज़ के गलत जानकारी को सीमित करने के लक्ष्य को साझा करते हैं। फैक्ट-चेकर्स के हमारे वैश्विक नेटवर्क ने अप्रैल से जून तक, 98 मिलियन गलत जानकारियों पर चेतावनी लेबल लगाए और सात मिलियन सामग्री को हटा दिया जिससे आसन्न नुकसान हो सकता था। हमने स्वास्थ्य अधिकारियों के संसाधनों से जुड़े रहने के लिए दो अरब से अधिक लोगों को निर्देशित किया है और जब कोई कोविड -19 के बारे में एक लिंक साझा करने की कोशिश करता है, तो हम उन्हें विश्वसनीय स्वास्थ्य जानकारी के साथ जोड़ने के लिए एक पॉप-अप दिखाते हैं।
मामले पर अवाज अभियान के निदेशक फादी कुरान ने कहा, 'फेसबुक का एल्गोरिथ्म सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा है। मार्क जुकरबर्ग ने महामारी के दौरान विश्वसनीय जानकारी देने का वादा किया था। लेकिन उनका एल्गोरिथ्म फेसबुक के 2.7 बिलियन उपयोगकर्ताओं में से कई को स्वास्थ्य को लेकर गलत सूचना फैलाने वाले नेटवर्क पर भेजकर उन प्रयासों को गौण कर रहा है।' कुरान ने बताया कि 'यह जानकारियां महामारी को बदतर बना देगी अगर फेसबुक अपने एल्गोरिथ्म को डिटॉक्स नहीं करता है और इन वायरल झूठों से अवगत करवा कर सुधार नहीं करता है।'
बता दें कि दिसंबर 2017 में फेसबुक के रिसर्चर्स द्वारा भी इस बात को स्वीकार गया था कि फेसबुक सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।