GST Deadlock: जीएसटी काउंसिल की बैठक बेनतीजा, राज्यों के मुआवजे पर नहीं बनी सहमति
GST Council Meeting: केरल के वित्त मंत्री ने कहा, काउंसिल के फैसले के बिना 21 राज्यों को कंपनसेशन के लिए कर्ज लेने की इजाजत देना असंवैधानिक होगा

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक एक बार फिर बेनतीजा रही। जीएसटी कानून के तहत केंद्र की तरफ से राज्यों को दिए जाने वाले कंपनसेशन के मुद्दे पर बैठक में कोई सहमति नहीं बन पाई। केंद्र सरकार ने एक बार फिर मुआवजे की रकम देने से पल्ला झाड़ते हुए राज्यों को कर्ज लेकर इसकी भरपाई करने को कहा। जबकि गैर-कांग्रेस सरकारों वाले राज्य इस बात पर ज़ोर देते रहे कि जीएसटी कानून के तहत मुआवजा देना केंद्र सरकार की ज़िम्मेदारी है, जिससे वो किनारा नहीं कर सकती।
बैठक के बाद केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने बैठक के बाद ट्विटर पर लिखा है, "केंद्रीय वित्त मंत्री का यह एलान अवैधानिक है कि 21 राज्यों को पहले विकल्प के तहत कर्ज लेने की इजाजत दी जाएगी। पहले विकल्प के लिए कम्पनसेशन का भुगतान 5 साल से ज्यादा टालना पड़ेगा। एजी की राय के मुताबिक ऐसा करने के लिए काउंसिल का निर्णय अनिवार्य है। लेकिन काउंसिल की बैठक में ऐसा कोई फैसला नहीं हुआ है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने ऐसे किसी निर्णय का प्रस्ताव परिषद में पेश नहीं किया। यहां तक कि वह क्या करने जा रही हैं, इसकी जानकारी भी बैठक में देने की जगह प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा करने का रास्ता चुना। आखिर केंद्र सरकार काउंसिल की बैठक में फैसला क्यों नहीं करना चाहती? यह तो लोकतांत्रिक व्यवस्था की पूरी तरह से अनदेखी करने वाली बात है।"
Union FM’s announcement that she is going to permit 21 states to borrow as per Option one is illegal. Option one involves deferment of compensation payment beyond 5 years for which a Council decision is necessary as per AG’s opinion. No such decision has been made in the Council
— Thomas Isaac (@drthomasisaac) October 12, 2020
वहीं, कांग्रेस शासित राज्य पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि जीएसटी कंपनसेशन के मसले पर केंद्र सरकार के प्रस्ताव का विरोध करने वाले राज्यों ने पूरे विवाद के निपटारे के लिए मंत्रियों के एक समूह के गठन का सुझाव दिया, लेकिन बैठक में इस पर कोई समझौता नहीं हुआ।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने बैठक की जानकारी देते हुए बताया कि बैठक में आम राय नहीं बन पाई। हालांकि उन्होंने दावा किया कि इस बात पर सभी सहमत हैं सेस से हासिल रकम जीएसटी कंपनसेशन के भुगतान के लिए पर्याप्त नहीं है। केंद्र सरकार इसी को आधार बनाकर राज्यों को उनका अधिकार देने में आनाकानी कर रही है। जबकि विपक्ष की सरकारों वाले राज्यों का कहना है कि अगर मुआवजे की रकम की भरपाई कर्ज लेकर करनी है, तो वह कर्ज केंद्र सरकार को लेना चाहिए। उसकी ज़िम्मेदारी राज्यों पर डालना ठीक नहीं है, क्योंकि जीएसटी लागू होने के बाद राज्य सरकारों की आमदनी से स्रोत वैसे भी काफी कम रह गए हैं।
बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई इस बैठक में निर्मला सीतारामन के अलावा वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर और राज्यों के वित्तमंत्री और वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।
केंद्र सरकार ने मुआवजे की भरपाई के लिए राज्यों को जो दो विकल्प दिए हैं, उनमें पहला रिजर्व बैंक की स्पेशल विंडो के जरिए 97 हज़ार करोड़ रुपये तक का कर्ज लेने का है। दूसरे विकल्प के तहत राज्य 2.35 लाख करोड़ तक का कर्ज़ ले सकते हैं। बीजेपी और उसके सहयोगी दलों की सरकारों वाले 21 राज्य पहले विकल्प को मानने को तैयार हो गए हैं । लेकिन बाकी राज्यों को दोनों में से कोई भी विकल्प मंज़ूर नहीं है।